Friday 28 December 2018

स्टाम्प शुल्क घोटाला

उजागर हो गये घोटाले बहुत से,
कही 2g , कही चारा, कही कॉमनवेल्थ खेलों के रूप मे।

पर कोई अभी तक क्यो कोई स्टाम्प शुल्क घोटाला उजागर कर नही पाया,
लगता हैं, रजिस्ट्री को ही राज्य सरकारो ने हैं, काली कमाई का सबसे बड़ा हथियार बनाया।

स्टाम्प शुल्क अधिनियम 1899 के अन्तर्गत ,स्टाम्प शुल्क सिर्फ स्टाम्प की कीमत का देय होता हैं,
फिर क्यो स्टाम्प कीमत पर 10 से 100 और कही कही 200 रुपये उपर तक माँगा जाता हैं।

100000 की कीमत के स्टाम्प पर रजिस्ट्री 100000 की जगह 110000 मे की जाती हैं,
यह उपर की 10000 की काली कमाई आखिर कहाँ जाती हैं।

कौई एक नही सभी सरकारें इसमे लिप्त नजर आती हैं,
स्टाम्प शुल्क का निर्धारण केन्द्र नही राज्य सरकारें खुद जो करवाती हैं।

सालों से चले आ रहे इस घोटाले पर आखिर क्यो नही किसीकी नजर जाती हैं,
गरीब, अमीर कौन नही हैं ऐसा जिससे यह उपरी कीमत नही वसूली जाती हैं।

लोग जीवन भर की जमा-पूँजी लगा कर एक आशियाना खुद का बनाते हैं,
जो थोड़ा बचता हैं, वह यह घोटाले वाले खा जाते हैं।

शायद भारत का अपना खून ही गद्दार हो गया हैं,
किसपर भरोसा करे हम, यहां हर शख्स भ्रष्टाचार मे लिप्त हो गया हैं।

अन्याय को सहना भी अन्याय ही होता हैं,
इसलिये गरीबों का शोषण हर बार होता हैं।

आवाज तो उठाओ अन्याय के खिलाफ,
क्रान्ति की मशाल कोई एक ही ढोता हैं।

वही आगे चलकर भविष्य का जागरुक,
प्रणेता होता हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Thursday 20 December 2018

जीवन की पाठशाला

जिन्दगी की पाठशाला का खेल भी बड़ा निराला हैं,
जीना जो सिखाता हैं यहाँ, हर एक गुरु बड़ा गहन चिंतन वाला हैं।

एक गुरु जो होता हैं धोखा,
जो अपनो की असल पहचान कराता हैं।

अपने रिश्ते भी निभाते है भुमिका गुरु की,
जो समय समय पर त्रिया चारित्र दिखाते हैं।

एक गुरु पडोसी अपना,
जो अपनो से ज्यादा आपकी खबर रखता हैं।

एक गुरु सम्मान हैं होता,
तो एक गुरु प्रतिकार भी हैं।

जो दोनो को सहज ही समझे,
वो जीने का हकदार भी हैं।

एक गुरु अहं स्वयं का,
जो करवाता अपमान भी हैं।

एक गुरु हैं वहम वही जो,
खुद को बताता सबका सरताज भी हैं।

एक गुरु वह मित्र हैं सच्चा,
जो साथ निभाता हर पल हैं।

एक गुरु अन्तर मन मे बसता,
जो मंथन का आधार भी हैं।

जिन्दगी सिखाती बहुत कुछ हैं,
दिखाती जीवन के पहलू बहुत कुछ हैं।

कुछ अच्छे , कुछ बुरे पल ,
कुछ किस्से कहानियो के किरदार,
जो सुने थे कभी मगर थे असरदार।

किस गुरु से पाया क्या,
और जिन्दगी से सीखा क्या?
यह तो अन्त बतायेगा,
जिन्दगी इम्तहान ही तो हैं,
प्रश्नो के उत्तर गुरुओ की सीखो से देते जा,
वरना इस इम्तहान मे पिछड़ जायेगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

कला/कलाकार

कला सिखाती नही अपमान करना,
कला का तो काम हैं सम्मान करना।

मान और अपमान के मोह से परे,
कला का काम हैं, सत्कार करना।

वो कला ,कला हो नही सकती,
जो कला का अपमान करती फिरें।

वो कलाकार कैसा कलाकार,
जो किसी कलाकार से ईर्ष्या की भावना रखे।

कला ही कलाकार का अभिमान होती हैं,
यह कला ही तो हैं जो ईश्वर का वरदान होती हैं।

कला का रिश्ता कलाकार की आत्मा से जुडा होता हैं,
जो आत्मा किसी की कला का मान ना रखे उसके विरुद्ध तो परमात्मा भी होता हैं।

कला रख नही सकती किसी से द्वेष जीवन मे,
कलाकार कैसा वो बिगड़ जाये जो यौवन मे।

कला अपनी खासियत पहचानती तो हैं,
कोई प्रतिकार कितना भी करे , कला नम्रता को सर्वोपरी मानती तो हैं।

कला अहं नही करती, कला वहम मे नही पलती,
कला अपनी मर्यादाओं को पहचानती तो हैं।

कला सुसज्जित होती हैं, कला के हर पल मंथन से,
कलाकारो के हर पल होते आत्म-मंथन से।

कलाकारों के मन मे अहं का भाव नही होता,
कलाकार कभी किसी को बुरा नही कहता।

कलाकार का यह गुण, उसे कला सिखाती हैं,
कला कलाकार की करुणा बन जाती हैं।

कला ना रूप को देखे, कला ना रंग कोई जाने,
कला ना जात-पात और धर्म के कौई भेद को माने।

कला स्वाभिमान सिखाती हैं, अभिमान नही प्यारे,
कला जीवन की शैली हैं , कौई सोच नही प्यारे।

कला ही जो हर कला का मान रखती हैं,
कलाकार की कल्पनाओ को साकार करती हैं।

जहाँ पर दंभ , अहं , पाखण्ड का संसार होता हैं,
वहाँ कला और कलाकार नही घृणित सोच का व्यापार होता हैं।🙏🙏

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Wednesday 19 December 2018

अल्फ़ाजो का ज्ञान चाहिये, हमको हमारी पहचान चाहिये

उम्मीदों के आसमान को वो मुकाम पर पहुँचाना जानती हैं,
भुख भी हार जाती हैं, जब लगन कुछ कर दिखाने की अन्तर्मन मे शौर मचाती हैं।

कुछ तस्वीरें शब्दों की मोहताज नही होती यारा,
बिन अल्फाजो के भी वह सबकुछ कह जाती हैं।

ना घर, ना रोटी की चाहत ,ना वस्त्रों का मोह हमे,
अल्फ़ाजो का ज्ञान चाहिये, हमको हमारी पहचान चहियें।

मत दो हमको भीख कोई भी,
रोटी, कपड़ा, मकान की।

देना हैं तो दे दो दीक्षा,
बस वर्णो के ज्ञान की।

हम खुद के दम पर भी मुकाम नया पा सकते हैं,
गर इतना सा साथ कोई दे हम भी सम्मान पा सकते हैं।

सबसे विनती बस इतनी हैं,
घृणित नही समझो हमको।

मात-पिता हम लोगो के शिक्षा से वंचित क्या हुएँ,
आज हमारा हाल तो देखो हम अपनी पहचान से दूर हुएँ।

शिक्षा का महत्व क्या हैं ,अब हमको समझ मे आया हैं,
इसलिये हमने भी अब कलम को अपना बनाया हैं।

बस गुजारिश हैं इतनी सी,
हमको भी उचित शिक्षा का आधार मिले।

किसी प्रकार की कौई भीख नही चाहिये,
हमे वर्णो का उचित ज्ञान मिले।

हम जीते हैं, गम पीते हैं,
खून के आँसू हर दम पीते हैं।

मौसम आते जाते रहते,
हम हरदम मरते रहते हैं।

बस इतना उपकार ही करदो,
जो शिक्षा पाना चाहते हैं, उनका ही सम्मान तो करदो।

दुनिया के साथ वो कदम मिलाये,
ज्ञान की हर पल अलख जगाये।

अपनी उम्मीदों के दम पर,
अपना हम मुकाम बनाये।

ज्ञान को अर्जित कर पाये हम,
अपना नाम और सम्मान हम पाये।

अपने हौसलों के दम पर हम,
भारत मे नई क्रान्ति लाये।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Tuesday 18 December 2018

अन्त एक पीढ़ी का या क्षति सभ्यता की

यह रचना समर्पित हैं उस पीढी को जिसने जन्म लिया जब भारत गुलाम था । जो अब सिर्फ कुछ सालो बाद हमारे बीच से अपना अस्तित्व हमेशा के लिए खो देगी। बस उसी पीढ़ी के एक व्यक्ति के रूप मे खुद को अनुभव कर कुछ लिखने का प्रयास किया हैं।


जिस तरह मुझसे सब रूठते हैं ना,
एक दिन मै भी सबसे रूठ जाऊंगा।

कौई बात नही करता मुझसे,
मैं सबसे दूर चला जाऊंगा।

टोंकता हूँ, समझाता हूँ, तो चुभता हूँ आँखो मे,
एक दिन सबकी आँखो मे आँसू दे जाऊंगा।

मेरी बातें कड़वी लगती हैं सबको,
एक उम्र ढ़ल जाने दो, तुम्हे हर बातों मे मैं ही नजर आऊंगा।

मेरी उम्र का क्या हैं यह तो ढल चुकी हैं,
कुछ समय मे ,मैं भी ढल जाऊँगा।

मैं करता हूँ बातें सभ्यता और संस्कारो की,
कुछ सभ्य सुविचारो की।

तुम मानते नही हो कहना मेरा,
एक दिन यही बातें तुम्हे सताएंगी।

जब तुम्हारी अपनी संतान तुमसे जिबान लड़ाएँगी,
तब तुम्हे मेरी बातें याद आयेंगी।

धीरे-धीरे समय गुजरता जायेगा,
देखते देखते ही हमारी इस पीढी का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।

वो पीढ़ी जो आज भी सूर्योदय से पहले उठ,
नित्य क्रिया कर लेती हैं।
वह पीढ़ी जो ईश्वर को भोग लगाये बिना,
अन्न का दाना भी नही लेती हैं।
वह पीढ़ी जो आज भी संस्कृतियों को
सहेज बैठी हैं।
वह पीढ़ी जो तरह तरह के देसी
नुस्खे बताती हैं।
वह पीढी जो त्योहारो का असली
मतलब समझाती है ।
वह पीढी जो हमसे ज्यादा शिक्षा
गृहण ना कर पाई,
पर परिवारों को सहेझना बेहतर
जिसने सीखा था।
वह पीढ़ी जो आज भी हेल्लो ,हाय की जगह
राम-राम, से बातों की शुरुवात करती हैं।
जिसके होने से घर की रौनक,
हर पल बड़ती हैं।

हां कुछ पाँच या दस वर्षो मे तुमसे जुदा हो जायेगी,
फ़िर यह सारी बातें किस्से कहानियों मे रह जायेगी।

हाँ यह पीढ़ी रूठ गई तो,
हमेशा के लिये जुदा हो जायेगी।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

✍✍✍🙏

This post is dedicated to those writers ..... who respect thoughts of another writer.. without abusing anyone...

जो हर किसी मे बुराई ढुंढे ,
कहीं ना कहीं कोई कमी तो उसमे भी होगी।
जिस दिन बुराई नही लोगों की अच्छाई नजर आने लगे,
मुकम्मल उसकी कमियाँ तभी तो होगी।
कोई पुर्ण होता नही हैं संसार मे,
अपूर्ण ईश्वर की हर एक संरचना हैं।
वाहवाही जमाना करे तो बात बने,
खुद की नजरो मे तो, ईमान नेता का भी पक्का हैं।
कौन जाने कितने पलों की और मोहताज हैं यह सांसें,
गर हमारी वजह से कोई मुस्कुरा सकें कुछ पल के लिये,
हमारी नजरों मे तो यही रास्ता इबादत का हैं।
कलम चलती हैं तो बयां एहसास ही होते हैं,
कुछ नगमे जीये ,कुछ देखे, पढ़े और सुने से होते हैं।
नजरिये का अपना अपना फ़र्क होता हैं,
भाव सबके जज्बात लिये ही होते हैं।
हम सलाम करते हैं हर उस कलम कार को,
जिसके शब्दो मे हर किसी के लिये,
सम्मान के भाव निहित होते हैं........!!!!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

जरुरी तो नही

जिसके अधरों पर हर पल मुस्कान हो,
वो खुश हो जरुरी तो नही....
जिसकी आंखे पल पल मे भीग जाती हो,
वो खुशी से हो दुर जरुरी तो नही.....
जिन्दगी मे आये ना गम की कोई शाम,
क्या हो सकता हैं ऐसा भी......
मैं खुश हूँ शायद, हो सकता हैं दुखी भी रहूँ,
पर बताऊँ तुम्हे हर हाल दिल का जरुरी तो नही.......
तुम्हे गुरूर हैं, तुम जानते हो मुझे,
मेरे सारे जज्बात, सारे एहसासों को,
मेरे जिये हर एक पल , और उन पलों मे बीते लम्हातो को,
तो आओ देखो पढ़ो, समझो मुझे,
मेरी खामोशियों को, कुछ नैनो की जुबनियों को,
हर बात कह दी जाये लफ्जों मे,
यह जरुरी तो नही........
तुम आरज़ू हो मेरी, मेरी धड़कनो की तलब,
रूह का सुकून हो,
मैं जी रहा हूँ शायद , अब भी तुमसे जुदा होके,
पर खुश हूँ की नही कह नही सकता,
हर बार रूह के बहते आँसू दिखाऊँ तुम्हे ,
यह जरुरी तो नही...........
हाँ मुझे जरुरत हैं तेरी,
पर जरूरतों के लिये मैं बैगैरत हो जाऊँ,
यह जरुरी तो नही...........
मुझे इश्क बेहद हैं तुमसे,
तुम्हारे बेवफ़ा हो, धौखा दे जाने के बाद,
मेरा इश्क नफरत हो जाये,
यह जरुरी तो नही..........

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #sonayu

Monday 17 December 2018

🙏🙏🙏

इस हवन रूपी जिन्दगी मे,
बनकर हविश,
आहुति सा चढ़ाया जा रहा हूँ........!!!!!!

माया के प्रलोभन से हो मुक्त,
मुक्ति के निकट बड़ा जा रहा हूँ ,
मैं शुन्य हुएँ जा रहा हूँ..........!!!!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

कुछ ऐसे ही

मेरी उदासी और बर्बादी का कारण मोहब्बत हैं,
नही मैं यह नही कह सकता...........!!!!!

मेरी इस उदासी और बर्बादी का कारण हैं,
सिर्फ और सिर्फ वह उम्मीद ,
जो मैने किसी गैर से लगा रखी थी......!!!!!

इंसान हूँ ना , भुल जो गया था,
यहां जब अपने ही अपने नही हो पाते,
तो गैरो से वफ़ा की उम्मिद,
वह भी उम्मिद की हदो से बढ़कर।

चोट तो खानी ही थी,
जिन्दगी खुद की औरो के हाथो मे जो सोंप दी........!!!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

✍✍❤

आज भी इन्तजार उसी का हैं,
दिल मेरा यह तलबगार उसी का हैं।
वो जो खेल गया जज्बातों से मेरे,
एहसासो की सरे आम चिता जला गया।
धडकने साथ छोड़ना चाहती हैं अब,
सांसे पनाह माँगती हैं।
देखो कम्जर्फ़ मेरी रूह को,
आज भी ऐहतराम बस उसी का हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

कुछ ऐसे ही

उसने कभी कहाँ था की ,
तुम सिर्फ मेरे हो,
और हमेशा ही मेरे रहोगे।
उसने तो सिर्फ कहाँ था।
और हमने आज तक उसे झूठा साबित नही होने दिया.......!!!!!💘
और एक वादा आज भी करते हैं,
तुम्हे कभी झुठा साबित होने भी ना देंगे.......!!!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Sunday 16 December 2018

जिन्दगी क्या है .....?

जिन्दगी क्या हैं,
यह प्रश्न ही बहुत बड़ा हैं।

कहीं आशाओ के दीप जला रही हैं जिन्दगी,
तो कही कोई दीप बुझा पडा हैं।

वक्त बदलता रहता हैं, परिभाषा जिन्दगी की,
जिन्दगी को वक्त ने जिन्दा रखा हैं।

कही साज , त्यौहार, परिवार हैं जिन्दगी ,
तो कही इश्क, नफरत, धौखे ने जिंदगी को छला हैं।

कौन क्या कहे, क्या हैं जिन्दगी,
किसी के लिये एक उपहार हैं खुदा का,
तो किसी के लिये अभिशाप हैं जिन्दगी।

कौई कहता हैं, जीवन की खुशी इसे,
तो किसी के लिये साँसों का बन्धन टूटने का इन्तजार हैं जिन्दगी।

राग भी हैं, द्वेष भी हैं,
अहं , पाखण्ड और लोभ भी हैं।
प्यार भी हैं, व्यापार भी हैं,
ईश्वर हैं, परिवार भी हैं।
गम हैं, भ्रम हैं,
नियम और संयम भी हैं।
खुशियाँ हैं, तो मातम भी हैं,
कुछ छोटे छोटे बन्धन भी हैं।
कुछ अपनी , कुछ पराई भी हैं,
कुछ बातें, कुछ जज्बात,
कुछ एहसासो की,परछाई भी हैं।
कुछ खट्टी, कुछ मीठी ,
कुछ बचपन, जवानी और बुढ़ापे,
के तजुर्बो की अंगडाई भी हैं।
कुछ कर्म की लिखी,
कुछ भाग्य की कही,
कुछ पाई कुछ गँवाई भी हैं।
कुछ मय के प्यालों सी,
कुछ अप्सरा के अधर मतवालो सी,
कुछ त्याग , समर्पण , बलिदानो की,
कहानी भी हैं।

जिन्दगी क्या हैं कौन जाने,
पर जिन्दगी एक कहानी भी हैं।
सबकी अलग अलग,
सबकी जुदा जुदा,
इन्तजार मे एक परम सत्य के,
बस जो बीतती जा रही हैं,
कुछ पा रही हैं, कुछ खो रही हैं,
कहीं हंस रही हैं, तो कहीं रो रही हैं।
शायद जिन्दगी इस बोझिल शरीर के,
पापों को ढो रही हैं।
सबकी कहानी कह रही हैं,
जिन्दगी झुठ हैं शायद ,
इसलिये सत्य की और अग्रसर हो रही हैं।

प्रश्न यह यक्ष प्रश्न ही रहेगा,
जिन्दगी क्या हैं.....?
अन्त तक प्रश्न ही रहेगा.......!!!!!!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Friday 14 December 2018

✍✍✍

मत आजमाओं इतना मुझे,
मैं बिखरने वाली चीज नही।

जला दूंगा तुम्हे अपनी ही आंच से,धधकता सुर्य हूँ,
हवाओं के आगे बुझ जाऊँ वो चिराग नही।

सत्य को पुजता,
सत्य ही लिखता,
सत्य ही जीता आया हूँ।

शीश कटा सकता हूँ मैं,
पर सत्य को झुकने ना दूँगा।

महांकाल का भक्त हूँ यारों,
कैसे मै ढ़िग जाऊँगा।

गर झूठ के आगे झुक गया तो,
कैसे उनको अपना मुख मे दिखाऊँगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#ayushpancholi #kuchaisehi #hindimerijaan

✍✍✍✍

यहां मनुष्य तो बहुत से है ,
पर इंसानो की कमी खलती बहुत हैं।

किरदार खुद का ही पता नही किसी को,
कमी दूसरों मे नजर आती बहुत हैं।

बड़ी बड़ी बातें करते हैं,
सोच छोटी जो लेकर।

अहंकार की झलक उनकी बातों मे,
स्पष्ठ उभर कर आती बहुत हैं।

कोई नादान नही हैं यहां,
चाले सबकी, हर किसी की समझ मे आती बहुत हैं।

कोई कुछ कहता नही तो,
कमजोर ना समझे उसे।

शेरों की भाषा गीदड़ों को,
समझ आती नही हैं।

शान्त-चित्त, गम्भीर बने बैठा हैं जो,
खुल जाये जो नेत्र उसका,
तो वो शक्ती तबाही लाती बहुत हैं।

औकात नही जिनकी, आँखे मिला सके दुनिया वालों से,
बातें उनकी बगावत के बोल गुनगुनाती बहुत हैं।

कलम चलती हैं ,तो आग उगलती ही हैं,
पाकर साथ वायु का यह तबाही लाती बहुत हैं।

क्या रखा हैं, बेवजह की बातों मे,
यह बिगड जाये तो गहराईयौं के राज खंगोल के लाती बहुत हैं।

सम्मान चाहते हो तो सम्मान देना भी पड़ता हैं,
कुछ बातों को नजर अंदाज करना भी पड़ता हैं।

परिवार के सभी सदस्य पुर्ण होते नही कभी,
परिवार को पुर्ण करने के लिये त्याग करना भी पड़ता हैं।

नही हो भावना गर त्याग की, तो बातें सब बकवास हैं,
यह बेवजह की बादशाहत,जलील करवाती बहुत हैं.......!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

चलचित्र का साया

मेरे भारत की दशा देखो क्या हो गई,
होती थी जहां आरती भारती की,
नारी को नारायणी मान पूजा जाता था,
आज वहां कीसी नारी की आबरू सरे आम निलाम हो गई।
मेरे भारत की यह दुर्दशा हो गई।

होते थे जहाँ आदर्श युवको के विवेकानंद,शिवाजी,
राम , महाराणा प्रताप , भगत सिंह, जैसे युगपुरुष।
आज उन्ही युवको के आदर्श यह भांड हो गये।
वह भी थी एक नारी यहाँ, जिसने अंग्रजों को,
नाको चने चबावा दिये थे।
थी एक नारी ऐसी भी जिसने ,
देश के मान के लिए अपनी संतानो के शीश भी कटा डाले थे।
वो नारी जो गौरव थी माँ भारती का,
आज उसकी यह दशा निराली हो गई।
जो पूजती थी विवेकानंद और राम को,
आज बॉलिवुड के भान्डो की दिवानी हो गई।

ढकती आई थी अब तक जो अपने सम्मान को,
मानकर अपना सबकुछ अपने परिवार की मर्यादा को।

वो पुरुष जो पर स्त्री को माता तुल्य समझता था,
स्त्री के सम्मान की खातिर शेर की तरह गरजता था।

अब ना पुरुष का शौर्य बचा हैं,
ना नारी की मर्यादा हैं।

सब के उपर छाया देखो,
कैसे भान्डो का साया हैं।

सोच पर गहरा असर हुआ हैं,
सभ्यता का हुआ विकास यहां,
पर संस्कृति का अपनी हास हुआ हैं।

चलचित्र का ऐसा साया,
जिसने परिवार और रिश्तों को छला हैं।

जिनका खुद का कोई वजूद नही हैं,
जिनका खुद का कोई ईमान नही हैं।

प्रेम को जो वासना समझे,
रिश्तो को जो बोझ मानते।

ना जाने क्यो युवा उनको,
हैँ अपना आदर्श मानते।

सच कहूँ तो सबसे ज्यादा देश की दुर्गती का ,
युवाओं के पथभृष्ट होने का ,
हमारे मौलिक संस्कारो के खोने का,
सोच हरपल अपाहिज होने का,

कारण यही हैं..........!!!!!
मेरे देश की दुर्दशा का कारण यही हैं....!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Thursday 13 December 2018

भगवा

🚩🚩!!भगवा!!🚩🚩

यह केसरिया रंग मे रंगा,
ध्वज नही हैं मात्र कोई।

आन , बान और शान हैं,सनातन धर्म की,
आतंकवाद का नाम नही कोई।

गर्व हैं यह हर सनातनी,
भारत के वासी का।

कौन बांटता धर्म मे इसको,
यह मान हैं, भारत माता का।

शिवाजी का प्रण हैं भगवा,
महाराणा की जान हैं।

झूल गये जो फांसी पर हँसकर,
उनके चोले का यही नाम हैं।

यही हैं मर्दानी लक्ष्मी का गौरव,
यही अखंड भारत का स्वाभिमान हैं।

राष्ट्रधर्म की हैं यह निशानी,
सभ्यता का एक ही नाम हैं।

उगते सुरज सा तेज हैं इसमे,
गोधुली सी शीतलता का वाहक हैं।

विवेकानंद ने पहन के जिसको,
फहराया परचम वो आहट हैं।

इसको नमन ना कर पाये तो,
कैसे सनातनी तुम हो बैठे।

"भगवा" की मर्यादा को हरने वाले,
कैसे देश के रक्षक हो बैठे।

हिन्दू का सम्मान हैं भगवा,
सिक्खो का अभिमान हैं भगवा।

मुस्लिम का वो चिश्ती रंग,
मात्रभूमि की शान हैं भगवा।

धर्म नही , ईश्वर हैं भगवा,
मुल नही हैं, जड़ हैं भगवा।

कर्म नही ईमान हैं भगवा,
आर्यावर्त का स्वाभिमान हैं भगवा।

मेरा जीवन इसे समर्पित,
मेरे जीवन का आधार हैं भगवा।

रगों मे मेरी जो बहता हैं,
वही लहु की धार हैं भगवा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

सत्य

गुजर रहा हैं वक्त जिस तरह,
एक दिन मैं भी गुजर जाऊँगा।
आज हूँ, तो आज की जगह सोचता हूँ कल की ,
कल का क्या पता, कल मैं भी कल हो जाऊँगा।
वक्त गुजर रहा हैं,
मैं भी गुजर जाऊँगा.......!!!!!

आज हूँ जो सामने नजरों के,
तो कदर नही मेरी तुमको।
कल ओझल हो जाऊँगा,
तो खोजते रह जाओगे मुझको।
पर फ़िर ना मैं लौट पाऊँगा,
ना तुम लौट पाओगे।
वक्त के साथ मैं गुजर जाऊँगा,
पर यकिन मानो तुम भी ढ़ल जाओगे।

आज साथ हैं,
कल पता नही क्या हो।
या मैं नहीं रहूँ,
या तुम ना हो।
क्यो फिर हम इस आज को खोये,
कुछ पल दोस्ती के अपने पन के ,
इस आज मे ही क्यो ना संजोये।

क्या पता वक्त कब कैसी करवट लेले,
जो सोचा भी ना हो कुछ ऐसा खेल खेले।
क्या छुपा हैं काल के गर्भ मे,
काल ही जानता हैं।
क्यो ना उस काल से ही हँसकर,
उसे एक सत्य मान उसके,
रँग मे उसके साथ खेले।
आओ जीले आज मे क्यो,
कल के इन्तजार मे आज को,
आंखों से ओझल होता देखे।

वक्त नही होता किसी का,
गुजरते गुजरते अपने साथ बदलाव लाता जाता हैं।
कोई गुजरता, कोई बदलता ,कोई ढ़ल जाता है,
जियो आज मैं मेरे यारों कल की फिक्र मे जो जीता हैं वो खुद कल हो जाता हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

शुन्य

शुन्य ही मेरा जीवन यारों, शुन्य ही मेरा कर्म हैं,
शुन्य ही मेरा अन्त, शुन्य ही आरम्भ हैं।
शुन्य से होकर , शुन्य को पाकर,
शुन्य मे ही खो जाऊंगा.........!!!!!
शुन्य हूँ मैं, शुन्य जीया हूँ,
शुन्य मे ही विलीन हो जाऊँगा......!!!!!
मैं की तलाश मे, भटक रहा हूँ,
कैसे मैं को पाऊँगा...???
जब सबकुछ ही शुन्य यहाँ पर,
शुन्य ही हर पल पाऊँगा.......!!!!!!!

भीतर , बाहर , ऊपर, नीचे,
चहुँ और हूँ खोज रहा,
कुछ भी कही, मिला ही नही हैं,
समय को युहिं कोस रहा,
शुन्य ही होना हैं जब सब,
फ़िर क्यो यह अहम हैं पाल रहा,
शुन्य ही हो जा तन्हराही ,
क्यों राहो की धूल हैं छान रहा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#ayushpancholi #kuchaisehi #hindimerijaan

सच्चे लोग

जरा जरा सी बात पर जिनकी आँखे भीग जाती हैं, वो लोग जीवन मे कभी किसी का बुरा चाह नही सकते। पर एक सच यह भी हैं, वो जीवन मे कभी किसी को अपना बना...