Tuesday 30 June 2020

सच्चे लोग

जरा जरा सी बात पर जिनकी आँखे भीग जाती हैं,
वो लोग जीवन मे कभी किसी का बुरा चाह नही सकते।
पर एक सच यह भी हैं,
वो जीवन मे कभी किसी को अपना बना नही सकते।
दिल साफ़ होता हैं उनका,
तोड़ मरोडकर चीजो को, बातों को मोतियों के हारो मे पहना कर बताना आता नही उन्हे,
जो कहते हैं, साफ़ साफ़ कह देते हैं,
इस झुठी दुनिया मे झुठ के सहारे जीना आता नही उन्हे।
वो लोग सच्चे होते हैं,
दिल के साफ़, चरित्र के पाक,
विचारो से निष्पाप होते हैं,
झुक जाते हैं, बेवजह ही अपनो के लिये हर जगह,
वह हर लोभ के जाल से अछूते होते हैं।
भीग जाती हैं, पलके जिनकी जरा जरा सी बात पर वो लोग,
भावनाओ के समन्दर की गहराई मे भी जो खोज ना पाये, 
ऐसे ही कितने झख्मो के खन्जर झेल चुके होते हैं....
ये लोग दिल के बहुत सच्चे , बहुत अच्छे होते हैं....!!!!!!
 
©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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#hindimerijaan  #mereprashnmerisoch

Saturday 29 February 2020

.......

अपनी बातों को अपनी इच्छाओं को अपनी सोच को सदैव सही मानने वाले और दूसरो की हर बात को गलत टहराने वाले लोग, अपने जीवन मे हर खुशी खो देते हैं। सिर्फ अपने बेवजह के अहं मे, और जब तक उन्हे सामने वाले की बात समझ मे आती हैं, तब तक उनके पास आंसू बहाने के अलावा कुछ और नही बचता। यह जिन्दगी बहुत छोटी से हैं। और यकीन मानियें जिन्हे आप अपना हितेषी समझ रहे हैं ना, वहीं आपके सबसे बड़े विरोधी एयर सबसे बड़े दुश्मन हैं। यहां सब कुछ धन और सम्पत्ति का खेल हैं। साम, दाम , दण्ड, भेद कुछ भी लगाकर बस हर कोई अपने रास्ते के काँटो को हटाने की फिराक मे हैं। कौन किसका शिकार हो रहा हैं, कोई नही जानता । मगर आप सुरक्षित हैं, यह बहुत बडी गलत फहमी आपने पाल रखी हैं। एक दिन यह गलत फहमी ही आपसे आपकी हर खुशी को छीन लेगी और यह एक कटु सत्य हैं। अगर आपको लगता हैं की, जो आपसे मीठा बोल रहा हैं, जो आपके सामने हर पल हाथ फैला रहा हैं, तो वह कोई षडयंत्र नही करेगा, तो यकीन मानिये आप आज मे नही आप आज भी अपने सपनों मे जी रहे हैं। यहां हर कोई षडयंत्र कर रहा हैं, हर कोई जाल बून रहा हैं। कोई किसी का नही हो सकता यहां, यहां सबकी कामना सिर्फ पैसा ही हैं। अगर आप आज भी सिर्फ अपनी ही सोच के सहारे जीना चाहते हैं, और सबको अपनी बातों पर ही परखना चाहते हैं, तो यकीन मानिये आप अपने लिये ही नही अपने से जुड़े हर शख्स के लिये कफ़न तैयार कर रहे हैं। आज एक सोच से नही आपको हर तरीके से सोचने को जरुरत हैं। यह संसार माया का जाल हैं, और यहां सबकुछ सम्भव हैं। मानो या ना मानो, मगर जरुरी नही जो दिख रहा हो वही सत्य हो, क्योकी आँखे वही देखेगी जो उसको नजर आ रहा हैं, मगर उसके पीछे का षडयंत्र आँखे नही देख सकती। समझदार वही हैं, जो हर प्रकार से सोच कर समझने की कोशिश करें, ना की अपनी हो बातों पर अड़ा रहे। 🙏

©आयुष पंचोली 

©ayush_tanharaahi


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Saturday 1 February 2020

सन्तान के भविष्य निर्माता माता-पिता..!!!!!?????

सन्तान का जीवन पूर्ण रूप से माता-पिता पर निर्भर करता हैं। उसके जन्म से लेकर उसके द्वारा माता-पिता की उपाधि पाने तक।
जन्म से सन्तान के प्रथम गुरु की भुमिका माता-पिता ही निभाते हैं। वही होते हैं जो उसे लगभग 5 साल की उम्र तक स्वयं सही गलत की व्यवहारिक शिक्षा देते हैं, जो सदा जारी रहती हैं, उम्र के अन्त तक। और साथ मे कुछ परिवार के और भी लोग होते हैं, मगर उस उम्र मे माता-पिता का और उनकी छवी का असर सन्तानो पर ज्यादा होता हैं, क्योकी वह अत्यधिक समय उनके साथ ही बिताते हैं। फिर जब वह सन्तानअध्ययन के लिये विद्यालय मे जाने लगती हैं, तब मिलते हैं उन तीसरे गुरु जो उन्हे किताबी ज्ञान देते हैं, और अगर गुरु वाकई मे गुरु हुएँ अध्यापक नही तो उन्हे सामाजिक और नैतिक ज्ञान भी प्रदान कर देते हैं। पर उस ज्ञान को व्यवहार मे लाना सन्तान सीखती हैं माता-पिता से। क्योकी पढ़ने लिखने से ज्यादा व्यक्ति का दिमाग वह चीजे ज्यादा तेजी से सीखता हैं, जो वह प्रत्यक्ष देखता और अनुभव करता हैं। अब जैसा व्यवहार, जैसा आचरण माता-पिता और घर के बाकी सदस्यो का होता हैं, सन्तान उसी व्यवहार और आचरण के अनुसार अपनी सीखी बातों का आकलन उन्ही के बीच करती हैं। अगर किसी के घर मे रोज छोटी छोटी सी बातों मे नोक झोंक होती रहेगी तो, उसकी सन्तान भी छोटी छोटी बातों मे वही आचरण प्रयोग मे लायेगी जो उसने आजतक देखा हैं। परेशानियों से लड़ना और उन्हे हल करना सन्तान परिवार से ही सीखत हैं। उसका व्यवहार, उसका नजरिया, उसकी सोच परिवार की ही देन होती हैं। और अगर कभी किसी सन्तान की सोच, उसका नजरिया, उसके परिवार के सदस्यो के अनुसार ना हो तो यकीन मानिये सब से पहले उसका परिवार ही उसके खिलाफ हो जाता हैं, चाहे वह सन्तान पुर्ण रूप से सही भी क्यो ना हो। 
समझना किसी को कोई कभी चाहता ही नही हैं। सभी की आदत बस अपनी इच्छायें, अपनी ख्वाईशे दूसरो के ऊपर थोपने की होती हैं। और यही उतपन्न होता हैं, टकराव। जो बनता हैं, परिवार विच्छेद का कारण।
आज के दौर मे कितने ही युवा सन्यास की और अग्रसर हो रहे हैं, और कुछ गलत कृत्यो की और भी अग्रसर हो जाते हैं , जबकी वह पुर्ण रूप से समृद्ध परीवार से होते हैं। पर क्या करे शुरु से घर का वातावरण, घर के सदस्यो का आचरण, और दुनिया के झूठे दिखावे के बीच सामन्जस्य ही नही बैठा पा रहे हैं वो, वो उस दूर हो जाते हैं। मानसिक पृताड्ना और वेदना व्यक्ति को ऐसे कदम मजबूरन उठवा हो देती हैं। 
फिर दोषारोपण होता हैं हर किसी पे। मगर देखा जाये तो परिवार अगर अपनी खोज करे तो उन्हे स्वतः कमी कहाँ रह गई समझ आ ही जायेगा।
अगर आप अपनी सन्तानो को सिर्फ धन, और जीवन यापन की ही शिक्षा देना सबकुछ समझते हैं, तो यकीन मानिये आप माता-पिता कहलानेबके लायक नही हैं। उन्हे संस्कार, संस्क्रति और सदाचार की शिक्षा दिजीये, उन्हे सही गलत ला फर्क बताईये, और जो उन्हे आप  सीखा रहे हओं उसे अपने जीवन मे भी अमल मे लाइये। तब जाकर आप माता-पिता बनेंगे। नाकी सिर्फ सन्तान को जन्म देकर उनकी इच्छायें, उनके शौक पुरे कर और उनपर अपनी अभीलाषायें थोंपकर । 
हर किसी मे कुछ अलग बात होती हैं, सभी एक जैसे कभी ना थे ना ही कभी हो सकते हैं। किसी और की तुलना मे अपनी सन्तानो को तौलना बंद किजीयें। उनके अंदर के हुनर उनकी इच्छाशक्ति को पहचान कर उसे प्रोत्साहित किजीये। अगर समाज और दुनिया के बारे मे ही हमेशा सोचते रहेंगे तो यकीन मानिये आप अपनी सन्तान को खो देंगे किसी ना किसी तरह से। मगर आप इस बात को नही समझने वाले, क्योकी आंखो और विचारो पर जो पर्दा धन और चकाचोंध से भरी इस खोखली सामाजिक बातों और कुरीतियों का डला हैं ना वो, आपको कभी सोचने देगा नही। यह सत्य हैं, और कडवा भी हैं। मगर यही आज के दौर मे टूटते रिश्तों, का और कम उम्र मे हो रहे मानसिक और शारिरीक रोगो का कारण भी हैं। 
जिसको और ज्यादा बड़ावा लगातार प्रसारित होने वाले धारावीक भी देते हैं। जिसे घर के सदस्य उन सन्तानो के बीच बेठ कर देखते हैं, जिन्हे उनकी कोई समझ नही, पर वह उनपर असर करता हैं, जो उन्हे असलियत से रुबरु होने पर ज्ञात होता नही, और वही आगे चलकर उन्हे मानसिक पीड़ा पहुचाता हैं।
माता-पिता की जिम्मेदारी बहुत होती हैं, सन्तान के भविष्य निर्माण मे जिसे उन्हे खुद को बुनयादी साँचे मे डालकर गडना होता हैं अपनी सन्तान की सोच और कल्पना शक्ती को सही आकलन करते हुएँ । जो इसमे सफल हो जाते हैं, वह अपना फ़र्ज सही मायनो मे निभा पाते हैं। वरना तो रिश्ते सिर्फ नाम के थे, हैं और रह जाते हैं।
किसी को बुरा लगा हो तो मांफ करना ।🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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Saturday 30 November 2019

हम सब अपराधी हैं....!!

बलात्कार करने वाले ही नही, उन बलात्कारियों को जन्म और श्रेय देने वाले माता-पिता भी गुनहगार ही हैं। जिन्होने अपनी सन्तानो को जन्म तो दे दिया, उनकी हर माँग पूरी भी की, मगर उन्हे संस्कार देना भुल गये। उन्हे इन्सान और खिलोने के बीच का फर्क बताना भूल गये। उनके सामने दिनभर टी.वी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमो के बीच मे कन्डौम का ऐड तो देखते रहे, मगर उन्हे नारी की मर्यादा की रक्षा करने की प्रेरणा देना भूल गये। हर चलचित्र हर प्रसारित होते कार्यक्रमो मे दिखाई जा रही नंगाई पर तो खूब तालियाँ और सिटी बजाई, मगर अपनी सन्तान की हरकतो पर नजर रखना भूल गये। दोष किसी को भी दो, मगर दोषी तो हर कोई हैं। मैं ,आप , हर वो शख्स, हर वो मा-बाप, जिन्होने कभी भी अपने सामने परोसी जा रही नंगाई का विरोध तो कभी किया ही नही, अपने बच्चो को संस्कार के नाम पर कुछ दिया ही नही। सब व्यस्त रहे अपनी जिन्दगी और अपनी ख्वाईशो को पुरा करने में, मगर अपनी और अपनी सन्तानो की नीयत और नजर को कभी परखा ही नही। सरकार को दोष देने से हो क्या जायेगा , क्योकी सम्मान तो किसी ने अपनी संस्कृती का ही कभी किया नही। हां अपराधी हम सब हैं, और आज से नही हमेशा से, क्योकी हमने सहन करना और आरोप-प्रत्यारोप करना जो सीख लिया हैं। और कुछ गलत होने पर मोमबत्ती लेकर सडको पर अपना रोष प्रकट जो कर आते हैं। मगर फिर घर आकर बिग-बॉस जैसे नाटको मे, टी.वी पर प्रसारित होने वाले हर एक विज्ञापन, दिखाई जाने वाली हर एक सिनेमा, और नेटफ़्लिक्स जैसी साइट्स पर परोसी जा रही नंगाई को उन्ही सन्तानो के साथ हंसते मुस्कुराते हुएँ देखते हैं, जो आने वाले समय का, आने वाले युग का भविष्य हैं। और खा पीकर सो जाते हैं। सब अपना अपना कार्य अपने ढंग से कर रहे हैं, अपने जीवन को जीने के लिये। किसी को किसी और से कोई मतलब नही हैं, शायद हम अपनी जिन्दगी को अपने अनुसार जीना चाहते हैं, मगर क्या सच मे हम अपराधी नही हैं, कोई कँह सकता हैं ऐसा, कोई भी एक शख्स...........नही कँह सकता , क्योकी हम सब अपराधी हैं......!!!

कोसते रहे सरकार को, हर व्यक्ति के किरदार को,
संस्कार मगर अपनी सन्तानो को देना वो भूल गये.....!!!!

दोष किसी और को क्यो देते हो साहब, ये आपने जने थे,
आपके ही दिये संस्कारो से ये, किसी के घर की इज्जत से खेल गये.....!!!!🙏

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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Tuesday 12 November 2019

हम तरक्की किये जा रहे हैं.....

आज से कुछ और शायर नये फिर आयेंगे,
कुछ के दिल टूट जायेंगे अपनी मोहब्बत को किसी और का होते देख,
किसी के हौंसले उसे उसके जीवन का नया आयाम दिलाएंगे।
पर जिन्दगी की यह गती थमने ना पायेगी,
यह गुजरती जा रही हैं तेजी हैं,
और एक दिन गुजर ही जायेगी।
कोई नही याद रखेगा की क्या थे तुम,
लोग नाम तक भुला देंगे तुम्हारा,
लोगो का कहना ही क्या तुम्हारे अपने ही फ़ोटो को धूल का ओडा देंगे एक आवरण प्यारा।
यही हकीकत हैं जिन्दगी की ,
यही सच्चाई हर रिश्ते की।
नाम याद रखा गया हैं उसी का,
जिसके कर्म परोपकार के थे,
या सिर्फ जो पापी समाज के थे।
बाकी महत्व यह समाज देता नही कभी किसी को,
छीन लेता हैं यह खुशियाँ भी किसी की सारी,
जात-पात का ओढ़े चोला छलता हैं यह हर एक तबके को।
इसने संस्कार दिये नही, इसने सिर्फ नीयमो को ढाल बनाया हैं,
सत्य को सदा छुपाता आया, पाठ सदा ही खुद के सर्वस्व का पढाता आया,
इसने लोगो की सोच को हरा हैं, इसलिये आजके दौर मे हर एक शख्स सिर्फ धौका देने को खड़ा हैं।
अपने ही पीठ मे छुरा घोंपे जा रहे हैं,
क्या यही सदी की तरक्की हैं,की हम अविष्कार तो ढ़ेरो कर रहे हैं,
मगर अपने मूल से , अपने संस्कारो और रीति रिवाजो से ही दूर होते जा रहे हैं।
समय ने अपने पाश मे सबको जकड़ लिया हैं,
धन के नशे ने रिश्तों को भी व्यापारिक रूप दिया हैं,
यही हम अपनी आने वाली पीढ़ी को परोसे जा रहे हैं।
वस्त्र और सोच हर बढ़ते दिन के साथ घटते जा रहे हैं,
लोगो के आदर्श आज अनैतिक सम्बन्धो वाले युगल होते जा रहे हैं,
बस इसी कारण तलाक हजारो गुना , और वृद्धाश्रम हर साल बढ़ते जा रहे हैं।
समझ से परे यह सत्य होता जा रहा हैं,
क्या हम उतने अच्छे भी हैं, जितने नजर आ रहे हैं,
पर सच कहूँ तो हम अपने क्रिया कलपो से कही आज की पीढ़ी की नजरो मे अपना ही कल क्या देख पा रहे हैं......!!!!!!
जिन्दगी को हम जी कहाँ रहे हैं,
हम तो बस खुद को ही छले जा रहे हैं।
समय के साथ आगे बढने तो लगे हैं हम,
मगर अपनी सांत्वनाओ, अपनी भावनाओ, अपने संस्कार और रीति रिवाजो की नित नई चिता जला रहे हैं।
हम तरक्की किये जा रहे हैं.........!!!!!!!!!!🙏🙏🙏🙏🙏
©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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Tuesday 27 August 2019

🙏🙏🙏

दुनिया का उसूल हैं,
वह हर जगह बुराई ढूँढ ही लेती हैं।
हर बार मांगती हैं जिससे,
कुछ बिगड़ने पर दोष भी उसी को ही देती हैं।
अपनी गलतियों का अन्दाजा लगाता नही कोई,
यह दुनिया हैं, हर किसी मे खोट खोज ही लेती हैं।
हर किसी को यहां स्वार्थ बस अपना नजर आता हैं,
किसी और की तकलिफो की परवाह यहां कब किसी को होती हैं।
सच कहने वाला यहां बुरा बन जाता हैं,
धर्म के साथ खड़े रहने वाला कट्टर कँह दिया जाता हैं।
कुर्सी के लिये ही यहां सारा खेल किया जाता हैं,
आडम्बर का चोला ओड़े हर कोई सन्यासी बन जाता हैं।
राम और सीता का चरित्र पसंद नही यहां किसी को,
क्योकी पर स्त्री और पुरुष से सम्बंध बनाना ही यहां आधुनिकता का मतलब समझा जाता हैं।
तन को ढँक कर नही मान यहां नंगेपन को दिया जाता हैं,
पैसा ही भगवान हुआ अब यहां, पैसो के लिये अपनेपन का झुठा षडयंत्र रचा भी जाता हैं।
कैसे किसी को अपना कहूँ मैं,
सब यहां धोखे ही देते हैं।
नकाब ओढकर चेहरो पर,
साँप सभी आस्तीन मे ही छुपे रहते हैं।
मौका पाकर के हर कोई यहां,
वार पीठ पर करता हैं।
यह दुनिया ऐसी ही हैं यारो,
यहां बस झुठ और षडयंत्र का ही कारोबार चलता हैं।

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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Monday 19 August 2019

🙏🙏🙏

हां मानता हूँ मैं,

नही आता मुझे दिखावा करना,
अपनेपन का झुठा ढोंग करना ।
मीठी-मीठी बातें करना,
शब्दो मे सजाकर झुठ कहना।

मैं जैसा हूँ, वैसा ही रहूँगा,
सच के साथ सदा ही खड़ा रहूँगा।
दुनिया चाहे जो भी समझे,
धर्म के पथ पर डटा रहूँगा।

नही चाहता साथ किसी का,
नही मांगता आधार किसी का।
नही किसी से कोई आशा,
मैं खुद ही खुद का हो , बस इतनी है अभिलाषा।

सब ही झूठे इस दुनिया मे,
खुद को छुपाये जीते हैं।
अपने अस्तित्व को मार चुके हैं,
दुनिया को दिखाने को जीते हैं।

नकाब ओढकर चेहरे पर कितने,
कितने प्रपंच सब करते हैं।
मैं कभी भी इन जैसा ना हो पाऊँगा,
जहां गिरवी गैरत हो जाये वही बिखर मैं जाऊँगा ।

माफ़ करना मुझको दुनिया वालों,
मैं दिखावा करके एक पल भी जी ना पाऊँगा।
चाहो अपनालो मुझको तुम,
या चाहे तो ठुकरा दो।

मैं झुठा ढोंग दिखावा करके,
नही दिखलाऊंगा।
हां मैं ऐसा ही हूँ,
मैं जो हूं ,
मैं सभीको नजर एक सा आऊँगा...!!!🙏🙏🙏🙏

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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आप सभी से क्षमा चाहता हूँ, मैं जो हूं वही हूं। और मैं ऐसा ही खुश हूं।

मुझसे किसी तरह का कोई झुठा दिखावा नही हो पाता। शायद इसीलिये कभी कोई मेरा नही पाता।

Saturday 17 August 2019

कुछ ऐसे ही...!!!

जब हर तरफ से निराशा ही हाथ लगती हैं, तब व्यक्ति हताश हो जाता हैं। और यह हताशा ही उसके जीवन का वह बिंदु होती हैं, जहां से उसका जीवन पुर्ण रूप से परिवर्तित होने वाला रहता हैं। अब यह निर्भर करता हैं, उस व्यक्ति की सोच पर की उसके अन्दर कितनी नकारात्मकता हैं और कितनी सकारात्मकता।
क्योकी विपरीत हालात और हताशा से वही व्यक्ति उभर पाता हैं, जो सकारात्मकता के साथ आगे बडता हैं। कल को छोड आज मे जीता हैं, और सिर्फ खुद के भरोसे चलता हैं। वरना आपसे किसी को कोई मतलब नही हैं। मानो या ना मानो किसी को आपके होने या ना होने से भी कभी कोई फ़र्क नही पढने वाला। इसलिये अपने आपको किसी पर आश्रित रखने से अच्छा हैं, अपने आपको ही एक मजबूत नीव की भाती बनालो।
कब क्या होने वाला हैं, काल के गर्भ मे क्या छुपा हैं आपके लिये, उसे छोड़ दो, क्योकी वह होकर रहेगा, पर क्या यह सिर्फ काल को पता हैं। तो सिर्फ आज का सोचो, और आज को बेहतर बनाओ। अपने आपको को कभी छोटा मत समझो। आप कुछ ना कुछ तो ऐसा कर ही सकते हो, जो आपको आपकी पहचान दिलाये। बस उस और अग्रसर हो जाओ। कोई फर्क नही पढ़ता कोई क्या सोचेगा, कोई क्या कहेगा। लोग सिर्फ सफलता पर ताली बजाना, और विफलता पर बातें बनाना जानते हैं, इसके सिवा उन्हे कुछ नही आता।
इन लोगो मे हर वो मनुष्य है जो आपके समक्ष हैं, जो आपसे किसी भी रूप से जुडा हैं, या जुड़ने वाला हैं, और साथ ही आपसे जुड़े लोगो से जो जुडा हैं, अर्थात् हर एक मनुष्य ।
अब आप सोच लो अपने हताशा से भरे इस जीवन मे लोगो से उम्मीद लगाकर और नकारात्मकता को अपनाना चाहते हो या सकारात्मकता के साथ चलकर अपना मार्ग खुद प्रशस्त करना चाहते हो। लोग तो बातें दोनो ही अवस्था मे बनायेंगे, क्योकी इसके सिवा उन्हे कुछ और करना कभी आता ही नही, ना ही कभी आयेगा।
अपनी सोच के हर उस पहलू से आप खुद अच्छे से वाकिफ़ हो की मैं क्या कर सकता हूँ, तो फ़िर सोचना क्या, अपना सारथी खुद बनो और बढ़ चलो। आपकी हर सफलता आपका काफ़िला खुद ब खुद बड़ा करती चले जायेगी, और आपके हर कदम पर बातें खुद ही बदलती चली जायेंगी ।🙏🙏

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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Tuesday 26 February 2019

जय हिन्द

कुत्तो जैसे काटा नही,
शेरों सा शिकार किया हैं।
घर मे घूंस कर गीदड़ों के,
राक्षसों का नरसंहार किया हैं।

ताकत को भारतमाता के सपूतों की
जिन्ना की औलादो को दिखला दिया हैं।
देश मे छुपे गद्दारों के गाल पर,
56 इन्च का तगड़ा तमाचा जड़ दिया हैं।

हैं गर औकात अब किसी की,
तो कर कोई कायराना हरकत,
इस बार 40 के बदले खायें हैं 300 तुम्हारे,
फ़िर पुरा तुम्हे ही निगल जायेंगे।

वीर हैं हम सीना तान कर,
वार करते हैं।
तुम्हारी तरह कायराना हरकते कर,
देश का मान नही घटायेंगे।

धमकी देना चाहे तो दे दो,
रसायनिक हमले की,
हम खोयेंगे हमारा एक हिस्सा,
तुम्हारा अस्तित्व ही निगल जायेंगे।

आज कोई हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख , ईसाई का नही,
आज प्रहार हर भारत वासी का तुमने झेल हैं,
सोच लेन जिस दिन हम एक साथ,
दहाड़ बैठे तुम सभी हृदयघात से ही मर जाओगे।

आज सम्मान दिल मे हर उस शक्स के लिये हैं,
जिसने 2014 मे भरोषा जताकर एक राष्ट्रवादी नेता को चुना।
जिसने भारतीय फौज के हर एक जवान को,
उसकी वीरता का इनाम दिया।

देकर खुल्ली छूँट तीनों सेनाओ को,
शहीदों की शहादत को उचित सम्मान दिया।
नमन स्वीकार करो देश का मेरी भारत माता के वीर सपूतों,
तुम्ही हो वो जिन्होने हमे गर्व से जीने का अधिकार दिया।

अब भी कुछ नामर्द हैं ऐसे जिनको,
सबूत चाहिये होगा।
नाजायज औलादो को कौन बतायें,
डी•एन•ए मे कही तुम्हारे ही मिलावट रहा होगा।

अब समझ लो तुम भी सभी,
गुनाह जो करेगा , हर उस शक्स का हिसाब इस नये भारत मे होगा।
हर वार के प्रतिकार का जवाब,
अब इंकलाब होगा।

वंदे मातरम , भारत माता की जय,
नारा नही, नव भारत का नव संचार होगा।
अब ना होगा कोई आतंकवादी,
ना कोई आतंकवाद होगा।

जय हिन्द
भारत माता की जय।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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Saturday 23 February 2019

मैं सबसे दूर हो जाऊंगा

आज से सारे रिश्ते, सारे नाते,
जो अपने होकर भी अपने हो ना सकें,
और जो अपने पन का दिखावा आजतक करते रहें ।
हाँ उन सभी से दूर जा रहा हूं,
कोई अब याद ना करना कभी मुझे,
अब खुद से वफ़ादारी निभा रहा हूं मैं।
अब कभी लौटकर आ ना पाऊँगा,
जो मिलें हैं, धोखे उन्हे भुला ना पाऊँगा।
जियुंगा अब सिर्फ जिन्दगी अपनी,
हर किसी से जुडा हर रिश्ता, हर नाता तोड जाऊंगा।
भरोसा करने की आदत ने,
जख्म बड़ा गहरा दिया हैं।
बहाये हैं आँसू कितने इस दिल ने,
कभी किसी को दिखा ना पाऊँगा।
भाई, बहन, दोस्त, यार,सब झूठे निकले,
जितने थे कहने वाले अपने,
सबकी बातों मे बस छलावे निकले।
अब शायद कभी किसी और को अपना ना बना पाऊँगा।
कहने को तो कह देता बहुत कुछ,
दिखाने को असलियत तुम्हारी,
जमाने के सामने ला देता तुम्हारे राज बहुत कुछ।
पर मैने अपना हर वादा, हर फ़र्ज निभा दिया हैं,
अब किसी से नया कोई वादा मैं कर ना पाऊँगा।
अब सिर्फ जियुंगा अपने लिये,
हर किसी से मैं अलग हो जाऊंगा।
कोई अब याद ना करना कभी मुझे,
अब खुद से वफ़ादारी निभा रहा हूं मैं।
अब कभी लौटकर आ ना पाऊँगा,
जो मिलें हैं, धोखे उन्हे भुला ना पाऊँगा।
जियुंगा अब सिर्फ जिन्दगी अपनी,
हर किसी से जुडा हर रिश्ता, हर नाता तोड जाऊंगा।😔😔😔
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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Tuesday 5 February 2019

नव उदय

वो तिमिर मिटाकर आ बैठा,
उजियाली छंटा बिखेर रहा।
क्यों हारे बैठे हो तुम,
देखो वो मरिचय कैसा तेज बिखेर रहा।
जो होना था वो हो बैठा,
अंधियारा था जो वो जा रहा।
क्या मोह पाश मे बंधते हो,
क्या हैं तुम्हारा, क्या खोने से तुम डरते हो।
जो गया उसे तुम जाने दो,
जो आने वाला हैं, स्वागत उसका करो।
नव सुबह हैं, नव हैं धारा,
नव वायू और नव हैं उजियारा ।
नव बसंत आने हैं वाला,
पृकृति मे रोमांच छाने हैं वाला।
खोया जो उसे भुला दो,
इस बसंत की नव यह सुबह हैं,
इसको जीवन राग बना दो।
पीछे छुटा जो उसे भुला दो,
जिन्दगी स्वागत करती हैं तुम्हारा,
एक बार आत्मा की पुकार सुन,
उस परमआत्मा के लिये ही खुलकर मुस्कुरा दो।
हजार नकारात्मक सोचो पर भी,
एक सकारात्मक विचार भारी होता हैं।
जो हार कर बैठ जाये गुणगान होता नही उसका,
हार को जीत मे बदलने वाला ही इन्सान महान होता हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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सच्चे लोग

जरा जरा सी बात पर जिनकी आँखे भीग जाती हैं, वो लोग जीवन मे कभी किसी का बुरा चाह नही सकते। पर एक सच यह भी हैं, वो जीवन मे कभी किसी को अपना बना...