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जो हर किसी मे बुराई ढुंढे ,
कहीं ना कहीं कोई कमी तो उसमे भी होगी।
जिस दिन बुराई नही लोगों की अच्छाई नजर आने लगे,
मुकम्मल उसकी कमियाँ तभी तो होगी।
कोई पुर्ण होता नही हैं संसार मे,
अपूर्ण ईश्वर की हर एक संरचना हैं।
वाहवाही जमाना करे तो बात बने,
खुद की नजरो मे तो, ईमान नेता का भी पक्का हैं।
कौन जाने कितने पलों की और मोहताज हैं यह सांसें,
गर हमारी वजह से कोई मुस्कुरा सकें कुछ पल के लिये,
हमारी नजरों मे तो यही रास्ता इबादत का हैं।
कलम चलती हैं तो बयां एहसास ही होते हैं,
कुछ नगमे जीये ,कुछ देखे, पढ़े और सुने से होते हैं।
नजरिये का अपना अपना फ़र्क होता हैं,
भाव सबके जज्बात लिये ही होते हैं।
हम सलाम करते हैं हर उस कलम कार को,
जिसके शब्दो मे हर किसी के लिये,
सम्मान के भाव निहित होते हैं........!!!!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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