दिल और दिमाग की कभी बन नही सकती। दिमाग से सोचने वाला व्यक्ति दुनिया मे पूज्यनीय होता हैं। मगर जो दिल से सोचता हैं, उसे दुनिया बुरा भले ही कहे मगर वह ईश्वर की नजरो मे गलत नही होता।
मैं नही कहता, शास्त्रो मे लिखा हैं। राहू और केतू एक ही शरीर के दो भाग हैं, या सीधी भाषा मे कहूँ तो, राहू दिमाग और केतू दिल हैं। पर शास्त्रो मे राहू को विनाशक और केतू को मोक्ष दाता कहाँ गया हैं। इसलिये याद रखिये दिल से लिया गया फैसला भले ही जमाने को बुरा लगे पर वह उस ईश्वर को भला ही लगता हैं। क्युकी दिल कभी किसी का बुरा नही चाहता, और दिमाग सिर्फ अपना अच्छा ही देखना चाहता हैं।
दिल और दिमाग की जंग मे बेशक जीत दिमाग की हो,
मगर याद रखना दोस्तों यह दिल कभी हारता नही हैं।
बेशक आँसू बहाता हैं, तन्हाई में,
मगर किसी को अपनाकर कभी धुत्कारता नही हैं।
अच्छा कर पायेगा या नही किसी का मालुम नही,
पर यह दिल हैं, यह किसी का कभी कुछ बिगाड़ता नही हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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