Wednesday 31 October 2018

हमसे ना हो पायेगा

खुद को बेच दूँ,
मैं पाने को मोहब्बत तेरी।
माफ़ करना जाना,
हमसे नही हो पायेगा।

जलता रहे मुझसे जुड़ा कोई रिश्ता,
और मैं खामोश खड़ा रहूँ समाज के बनाये नियमों के आगे।
माफ़ करना मेरे समाज के ,
तथाकथित ठेकेदारों,
हमसे ना हो पायेगा।

धर्म को मेरे होता देखूँ अपमानित,
उसके ही तथाकथित रखवालो के हाथों
माफ़ करना मेरे धर्म के कथित रक्षको,
हमसे ना हो पायेगा।

सत्य को पराजित होता देखूँ,
झूठ का माल्यार्पण हो।
फिर भी खामोश खड़ा मैं देखूँ,
हमसे ना हो पायेगा।

मेरे कर्मो का दोष सहना पड़े,
मात-पिता को मेरे।
उनका सर शर्म से झुक जाये जमाने मे,
मैं मुस्कुराओ मयखाने मे।
ना जी ना हमसे ना हो पायेगा।

मैं बुरा हूँ, तो बुरा कहो मुझे,
क्युं झुठा यह सम्मान का दिखावा करते हो।
झुठा सम्मान पाना गंवारा नही मुझे,
सच्ची बुराई सुनना चाहता हूँ।
झुठ को शिरोधार्य कर नाचूँ मैं,
और सच से छुपता जाऊँ।
ना हमसे ना हो पायेगा।

अपने जमीर को गिरवी रख कर ,
करे सौदा पाने को वाहवाही।
माफ़ करना दोस्तो
हमसे ना हो पायेगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

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Tuesday 30 October 2018

कुछ ऐसे ही

अजीब सा गुमान पाल रखा हैं हमने दोस्तो,
की लेखक के सिर्फ़ शब्दोँ को ही पड़ा जाता हैं,
रचना से उसके भावो का मंथन किया जाता हैं।

जितनी जल्दी यह भ्रम टूट जायेगा ,
उतने ज्यादा भावो को यह दिल शब्दो का रूप दे पायेगा।

आज के दौर की असलियत कुछ और हैं,
आज लिखे से ज्यादा प्रचार और दिखावे का शौर हैं।

चापलूसी करने वालों का चहुँ और महिमामंडन होता हैं,
देखो यारो किस तरह आजकल ज्ञान का खंडन होता हैं।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

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Monday 29 October 2018

बचपन

अमीरी ,गरीबी की सोच से परे यह बचपना हैं मेरा,
जो खेल अधरों पर मुस्कुराहट बिखेर दे वही असल खेल हैं मेरा।

मैं तो अन्जान हूँ ,दुनिया की रस्मो से,
अभी नादान हूँ , उल्टा सीधा मैं एक समान हूँ।

ना कोई बैर मन मे मेरे, ना किसी से कोई शिकवा हैं,
अभी मनुष्य हुआ नही हूँ मैं, अभी मैं इन्सान हूँ।

नही समझना दुनियादारी, नही चाहता कोई समझदारी,
मैं खुश हूँ अपनी मस्तियो मे, हो चाहे वो महलों मे या बस्तियों मे।

ना अमीरों के खेल पता हैं मुझे, ना गरीबों के,
ना मुझे मेरी पहचान का कोई भान हैं।

मैं बचपन जी रहा हूँ मेरा, मेरे अधरों पर छाई जो मुस्कान हैं,
बस यही जिन्दगी जीना चाहता हूँ मैं, जो समाज और दुनिया के बनाये उसुलो से पूरी तरह अन्जान हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

मै एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा

मैं एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा,
मैं जाते जाते सारे सवालों के जवाब दे जाऊंगा।
मैं हर शिकवा हर गम भुला जाऊंगा,
और तुम्हे प्यार करना सिखा जाऊँगा।
ढुँढोगे तुम जब मुझे अपनो मे,
मैं नजर आऊँगा तुम्हारे सपनो मे।
आज खिलता हूँ कितनो के चेहरो पर मुस्कान बनकर,
कल कितनी ही आँखों मे आँसू दे जाऊँगा।
मैं एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊँगा!!!.......(1)

तेरी ख्वाईश भी पूरी हो जायेगी उस दिन,
मैं तुझे हमेशा के लिये अकेला कर जाऊंगा,
पर जाते जाते तेरे लिये कुछ हसीन यादें छोड़ जाऊंगा।
कभी मुस्कुराओगी तुम, तो कभी आँसू भी बहाओगी,
मैं तेरे लिये अपने नाम की वो छाप छोड़ जाऊँगा,
मैं एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!.....(2)

अपने यारों के लिये दोस्ती की मीठी यादें छोड़ जाऊंगा,
किसी के लिये बातें तो किसी के लिये वादें छोड़ जाऊंगा।
किसी के लिये हँसी के सुहाने पल,
किसी के लिये बचपन की बातें छोड़ जाऊँगा।
मै एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!.......(3)

कुछ अपनो के लिये ,कुछ सपने छोड़ जाऊंगा।
किसी की आंखों मे कभी अपने लिये प्यार नही देखा,
फिर भी कुछ आँसू जरुर छोड़ जाऊँगा।
कभी तो याद आऊंगा मैं किसी को,
कुछ बातें ऐसी छोड़ जाऊंगा।
रिश्तो की परवाह नही हैं मुझे,
उन रिश्तों की डगर मैं सुनी ही छोड़ जाऊंगा।
मैं एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!....(4)

क्या लेकर आया था मैं यहां,
फिर भी अपने साथ किसी की यादें ले जाऊंगा।
कुछ सपने पुरे करूंगा,
कुछ अपनो को दिल में बसा के ले जाऊंगा।
जो हसरत नही हो सकती है पूरी,
उसकी चोंट मैं अपने साथ ले जाऊंगा।
मैं एक दिन जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!.....(5)

कुछ राज हैं मेरे दिल मे समाए,
उन्हे मैं अपने साथ ले जाऊंगा।
तु बदनाम ना होगी कभी ,
तेरा नाम मैं अपने साथ ले जाऊंगा।
तुझे छुपाया हैं अब तक इस जमाने से,
तुझे इस दिल मे छुपाकर ही ले जाऊंगा।
तुझे पा तो नही सकता मैं,
पर तुझे इस दिल मे सजा कर ले जाऊंगा।
मैं एक दिन इस जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!....(6)

मैं अन्जान हूँ आज भी कुछ अपनो के लिये,
और हमेशा के लिये अन्जान ही रह जाऊंगा।
ना कोई समझा हैं मुझे,
ना समझ पायेगा कभी,
मैं एक अनसुलझा सवाल ही रह जाऊंगा।
आज जी रहा हूँ किसी ख्वाब की आस लिए,
कल उस ख्वाब के लिये मैं मिट भी जाऊंगा।
मैं एक दिन इस जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!.....(7)

तुझे ना भुला हूँ मैं कभी,
ना कभी भुला पाऊँगा।
अपने साथ ले जाऊंगा तेरे गम सारे,
और तुझे जिन्दगीभर की खुशियाँ दे जाऊंगा।
मैं एक दिन इस जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!....(8)

किसी को याद आऊंगा मैं हर पल,
तो किसी की बातों मे नजर आऊंगा।
किसी के चेहरे की मुस्कान बनूँगा,
तो किसी के अश्को मे समा जाऊंगा।
किसी की यादों मे सिमट कर रह जाऊंगा,
तो किसी की कहानी बन जाऊंगा।
किसी के दिल मे रहुँगा राज बनकर,
तो कही दिवारों पर टंग जाऊंगा।

फिर भी मैं जाते जाते सारे शिकवा सारे गिला दूर कर जाऊंगा,
और जाते जाते हर सवाल का जवाब दे जाऊंगा,
मैं एक दिन इस जिन्दगी की कश्मकश से विदा ले जाऊंगा!!!!!.....(9)

आयुष पंचोली

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #merejeewankasaty

Sunday 28 October 2018

माँ

माँ एक स्त्री का वह रूप जिसके आगे सबकुछ झुक सा जाता हैं। जिसके हौसले, जिसके दर्द , जिसके परिश्रम और जिसके त्याग का वर्णन शब्दों मे कर पाना सम्भव नही हैं। कुछ दिन पहले मुझे एक तस्वीर मेरी प्यारी भांजी द्वारा भेजी गई थी, और उसने मुझे कहाँ था मामा इस पर आप कुछ लिख सकते हो? मैं तस्वीर को देखकर ही निशब्द हो गया था। फिर आज कुछ दिनो बाद उस तस्वीर पर कुछ लिखने का एक तुच्छ सा प्रयास किया हैं, जो आपके समक्ष उपस्थित हैं। कुछ भुल हुई हो तो क्षमा कर दिजियेगा।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

क्या तोडेंगे मुझे यह हालात,
जब सवाल मेरे बच्चो के भविष्य का हो।
झुका दूंगी अपने हौंसलो से मैं,
यह आसमां भी जब इम्तिहान मेरे बच्चों की खुशी का हो।
क्या नही हैं जो मेरी जद मे ना हो,
मैं झुका दूँगी यह दुनिया भी कदमों मे तेरे गर जो सांसें तेरी गर्दिश मे हो।
मैं सारी खुशियाँ लाकर तुझे दूंगी,
तेरे अधरो की हसीं के लिये इस जहाँ के सारे गम खुशी-खुशी सह लुंगी।
कोई क्या रोकेगा मुझे, भविष्य तेरा संवारने से,
मैं तेरे रास्ते की हर अडचन को हर लुंगी।
मेरे लल्ला तु जुग जुग जियें,
तेरे लिये मैं, हर जंग लड़ लुंगी।
क्या तोडेगा यह जमाना मेरे हौसले की दीवारों को,
तेरी खुशियों के आगे तो मैं बगावत ईश्वर से भी कर लुंगी।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #ayuspiritual #hindimerijaan

दौलत गरीब की

कटे-फटे, मैले-कुचेले कपड़ो मे जीना आता हैं,
भूखे पेट, खाली जैब मेहनत करना आता हैं।
भीख माँग गुजारा करना रास ना हमको आयेगा,
ईज्जत को अपनी लोगों के आगे निलाम यह दिल ना करा पायेगा।

हम गरीब हैं ,माना हमने,
दोष किसी का इसमे कुछ भी नहीं।
हमने कमाई है दौलत अपने आप को ढक कर,
अपने सम्मान को अपनी नजरों मे सहेज कर।

ये दौलत कमा पायो आप इतनी आपकी औकात कहाँ हैं,
बड़े-बड़े होटलो मे छोटे-छोटे कपड़ो मे आने वालों,
अपनी मर्यादा का तुम्हे एहसास कहाँ हैं।
हम मजबुरी मे पहनते हैं, यह फटे चिथड़े,
तुम्हे हमारी मजबूरी का एहसास कहाँ हैं।

तुम्हे कहां पता क्या होती हैं, भूख,
तुम्हे तो बस हजारों के खाने से दिखावे के दो निवाले चखने होते हैं।
जितना तुम छोड़ देते हो झूठन अपनी थाली में,
उतने भोजन मे किसी गरीब के कितने दिन व्यतीत होते हैं।

फिर भी हमे अपना सम्मान अपना मान,
अपनी अना का बिखर जाना मन्जूर नही हैं।
हम भूख से मरना पसंद करेंगे जनाब,
पर खुद को खोकर अन्न को गले लगाना हमे मन्जूर नही हैं।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi
(800)

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayu100 (×8)
#girl_panchdoot

Friday 26 October 2018

मेरा इश्क

आज चाँद मेरा किसी और की लम्बी उम्र के लिये व्रत रखेगा,
वादा जो किया था मुझसे, आज किसी और के लिये जियेगा।

हम भी आज दिनभर उसी की यादों मे खोये रहेंगे,
उसकी खुशियों के लिये हम भी आज व्रत रखेंगे।

वो निहारेगी चाँद को देखकर , छलनी मे से चेहरा अपनी नई खुशियों का,
हम उस चाँद मे ही हमारे प्यार का दीदार करेंगे।

होगा साथ मे कोई उसके आज उसका यह व्रत खुलवाने को,
हम तो आँसुओ से ही आज अपना व्रत पुरा करेंगे।

जिसको चाहा उम्र भर वो नही मिला तो क्या,
उसकी यादों से भी तो मोहब्बत की जाती हैं।

जरुरी नही हैं, किसीको अपना बनाकर ही खुशियों की सौगात दी जाये,
दूर रहकर भी तो खुशियाँ बांटी जाती हैं।

मैं इश्क के सिवा कभी कुछ दे नही पाया उसे,
उसकी चाहत चाँद सितारो की थी।

आज सिर्फ दुआ कर सकता हूँ उस ईश्वर से, उस चाँद के सामने,
मेरा चाँद कभी उदास ना हो।

हो खुशियाँ ही खुशियाँ जिन्दगी मे उसकी,
उसके सभी गमो का जोड़ मेरे हिस्से की किताब मे हो।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

मेरा इश्क

ना हल्दी , ना मेहंदी,
ना मैं चुनर तुझे मेरे नाम की उड़ा पाया।

ना चूड़ा, ना बिछीयां,
ना तेरी माँग मे सिन्दूर मैं सजा पाया।

ना कोई वचन, ना कोई फेरे,
ना ही तुझे अपनी जीवन संगीनी मैं बना पाया।

फिर भी दिल मे तेरी तस्वीर सजा रखी हैं,
तेरे मेरे बीच के वचनों की हर रस्मे मैने निभा रखी हैं।

इस दिल मे , और मेरी जिन्दगी मे,
कभी कोई नही आयेगा तेरे सिवा।

मैने अपनी सारी कायनात ही,
तेरी यादों से सजा रखी हैं।

तु बेवफ़ा हो गई तो क्या,
मेरा इश्क तो सच्चा हैं।

फरेब तो तेरे इश्क मे था,
मेरी वफ़ा का हर एक एहसास सच्चा हैं।

तु आज किसी और की हैं,
तेरी खुशियों से रोशन जिन्दगानी किसी और की हैंं।

मैं तो इश्क सच्चा करके भी बदनाम ही हुआ हूँ,
देखो कैसे सरेआम झूठी मोहब्बत का शिकार हुआ हूँ।

फिर भी तुझे याद करता रहता हूँ मैं,
दिन रात तेरी ही बातें करता रहता हूँ मैं।

पता नही क्या से क्या हो गया हैं,
पर इतना तो हैं, मेरा इश्क मुझमे ही मुकम्मल हो गया हैं।

तु नही हैं आज मेरे साथ, फिर भी तेरे हर झूठे वादों को साथ रखता हूँ,
मैं आज भी तुझसे मोहब्बत बेपनाह बेहिसाब करता हूँ।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Thursday 25 October 2018

मेरा इश्क

जिन्दगी मे सबकुछ पा लूँगा मै ,
पर तेरी कमी उम्र भर सताती रहेगी।

होगी हर एक खुशी पास मैं मेरे,
पर तेरी यादें जीवन भर आंखो को भिगाती रहेगी।

कितने सपने देखे थे हमने साथ मे,
होंगे तेरे मेहंदी वाले वो हाथ मेरे हाथ मे।

तु मेरे इतने पास होगी,
हमारी हर खुशियों की शुरुवात एक दुसरे के साथ होगी।

सब कुछ खत्म हो गया अब,
मेरे सपनो को कोई और जी रहा हैं, तेरे साथ अब।

मैं जीता जिन्दगी मे सबकुछ,
पर मोहब्बत को ही हार बेठा हूँ।

जमाने के सामने खुश हूँ मैं,
कौन जाने दिल मे लिये कितना आँसुओ का सैलाब लिये बेठा हूँ।

बहुत छोटे छोटे सपने थे मेरे,बहुत छोटी छोटी खुशियाँ थी,
तुझसे शुरु और तुझपर ही खत्म होती मेरी सारी उम्मीदों की लडिया थी।

अब मेरी उम्मिद की जद मे सारा जमाना लिये मैं फिरता हूँ,
मगर सच कहूं तो तेरे बिना हर रोज मैं मरता हूँ।

मैं इश्क हूँ, इश्क मैं जिया, इश्क ही तो करता हूँ,
क्या खता की पता नही, इश्क तो आज भी मैं तुझसे ही करता हूँ।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

Wednesday 24 October 2018

फर्क नहीं पड़ता

फर्क नही पड़ता (1)

बहुत जी लिया ज़िन्दगी मे तेरे बगैर,अब तु आ भी जाये तो फर्क नही पड़ता।

तेरे धोको ने इतना तन्हा किया मुझे, अब महफिलों मे भी तु नजर आ जायें तो फर्क नही पड़ता।

वो वफां की बातें भुला ही दो अब तुम, अब जमाना भी बेवफा हो जायें तो फर्क नही पड़ता।

खुद को खोकर जीना सीखा हैं मैने, अब सबकुछ खो भी जायें तो फर्क नही पड़ता।

कुछ पाने की ख्वाईश तो कब की खो चुकी, अब कुछ ख्वाईशे मुकम्मल हो भी जायें तो फर्क नही पड़ता।

तेरी बेवफाई ने इतना पत्थर दिल इतना बेखौफ़ बना दिया हैं मुझे, की अब मौत भी आ जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (2)

वो दौर बीत गया जब तेरी आशिकी ही हमारे जीने का सहारा थी,
अब सहारो से ज्यादा खुद पर ऐतबार करते हैं,
ऐसा नही हैं की तुझसे अब प्यार नही रहा,
प्यार तो तुझे अब भी बेशुमार करते हैं,
पर तेरे जाने के बाद इतना मजबूत किया हैं खुद को,
की अब चाहे कोई सहारा मिलें या ना मिले,
कोई अपना साथ हो ना हो, कोई सपना भी टूट जायें,
तो कुछ फर्क नही पड़ता।
अब ना जीने की तम्मना हैं, ना मरने का कोई इरादा,
ना साथ हैं किसी का, ना विश्वास किसी का,
अकेला चल रहा हूं पथरिले सफर मे,
ना भूख ,ना प्यास ,ना ही बची कोई आस,
पर अब मुझे फर्क नही पड़ता।
तेरी बेरुखी ने , जिन्दगी का रुख ही मौड़ दिया,
अब कोई बिछड़ भी जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (3)

एक वक़्त था, जब तेरे आँसुओ को देख दिल मेरा भी रो देता था,

ऐसा नही हैं की, अब तेरी कोई फिक्र नही रही,

आज भी यह दिल तेरी ही खुशी चाहता हैं।

पर अब तेरे हंसने , तेरे रोने से , तेरे होने या ना होने से,

मुझे कोई फर्क नही पड़ता।

मैं खुद ही खुद मे खो जाता हूं ऐसे,

अब इस रंग बदलती दुनिया में,

कोई कितना भी बदल जाये , फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (4)

तेरी झुटी मोहब्बत मे कुछ इस तरह टूटकर बिखरा हूं मैं,
की अब तु खुदा भी बन जाये तो मुझे फर्क नही पड़ता।

मेरी सच्ची मोहब्बत के बाद भी गर तु मेरी ना हो संँकी,
अब तु हजारों की भी हो जायें तो फर्क नही पड़ता।

तेरे आने से पहले , तेरे जाने के बाद , इस बीच का वो किस्सा गर मिट भी जायें तो क्या,
झूठे वादों और सपनो से अब कोई फर्क नही पड़ता।

तु हसीन नही, एक हसीं तु ख्वाब था, गर ये ख्वाब हकिकत
भी हो जायें तो अब फर्क नही पड़ता।

तुझे भुला नही हूं मैं, ना ही वो प्यार हुआ हैं कम,
पर अब तेरे होने ना होने से फर्क नही पड़ता।

कुछ इस तरह बिखरा हूं मैं, तेरी बेवफाई मे,
अब अगर ये जिन्दगी भी बेवफा हो जायें तो फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नहीं पड़ता (5)

कोई जिन्दगी मे आता हो तो आ जायें, कोई जाता हो तो चले जाये,
तेरे जाने के बाद लोगो के आने जाने से अब कोई फर्क नही पड़ता।

कोई मुझे बुरा समझता हैं, किसी की नजरों मे मैं अच्छा भी हूं,
जिसे जो समझना हे समझे,इस अच्छाई और बुराई की परिभाषा से अब फर्क नही पड़ता ।

बहुत हसने के बाद जब कोई उदास हो जाता हैं, उस उदासी से गुजरी हैं जिन्दगी बड़ी बेपरवाह होके,
अब कोई कितना भी लापरवाह क्युं ना हो जायें , मुझे फर्क नही पड़ता।

सब कहते हैं , बदल गया हूं मैं, कभी किसी ने बदलने की वजह को समझना नही चाहा,
हम तो हम रहे नही, अब कोई कितना भी बदल जायें मुझे फर्क नही पड़ता।

बहुत कुछ खोकर, कुछ ऐसा पाया हैं मैने, आँखो मे छुपे राजोंं को पहचान जाता हूं,
अब कोई हँसते हंसते झुठ भी बोल जाये तो फर्क नही पड़ता।

तेरे ना होने का गम तो उम्र भर रहेगा जिन्दगी मे,
पर अब तेरे होने से भी कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (6)

आँसु सूख गये हैं आँखो से मेरी,सुर्ख लाल सी रहने लगी हैं यें,
पत्थर सा बन गया हूं मैं,सुखी बंजर भूमि सी हो गयी हैं जिन्दगी,
पर अब फर्क नही पड़ता।

कभी तेरी हँसी की खातिर सबकुछ कुर्बान कर देता था मैं,
तेरे आंसुओ की गिरते ही खुद को सजा दिया करता था मैं,
अब तेरी बातों, तेरे रूठ जाने से कोई फर्क नही पड़ता।

तेरी बेरुखी का कुछ ऐसा मन्जर भुगता हैं हमने,
की अब दुनिया का भी रुख बदल जायें तो फर्क नही पड़ता।

गुमसुम सा हो गया हूं मैं, हँसी,खुशी से दूर एक शव सा हो गया हूं मैं,
जख्म हुएं नासूर मेरे, एक गहरे खारे समन्दर सा हो गया हूं मैं,
लोग कुछ भी कहें अब फर्क नही पड़ता।

तु चले गया, मोहब्बत चले गयी,अब ये मोहब्बत दोबारा नही होगी,
अब तेरे बाद हर रिश्ता एक मजबूरी होगा, पर अब इन मजबूरियों से भी फर्क नही पड़ता।

लाखों की भीड़ मे भी तुझे पहचान लिया करता था मैं कभी,
अब इसी भीड मे मैं तन्हा होकर कहीं खो गया हूं,
ना अब तेरी तलाश हैं , ना ही खुद की,
अब कहीं हमेशा के लिये खो भी जाउँ तो फर्क नही पड़ता।

अब तेरे होने ना होने से ,तेरे हंसने या तेरे रोने से,
तुझको पाने या खोने से, कौई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (7)

मेरे जख्मों को कुरैद दिया तुने,मेरे आंसुओ से  तुझे कोई फर्क नही पड़ता। तो सुन तु अब इश्क मे फना भी हो जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

मैं टूट रहा था, और मुस्कान थी तेरे चेहरे पर, तेरी उस मुस्कान को देख कर ही इरादा कर लिया था, मैं बिखर जाऊंगा अब, मगर अब तेरी किसी बातों से फर्क नही पड़ता।

तु लाख झुठ कह भी ले, तु मुकम्मल गर हो भी जायें , तेरी किसी अदा किसी बात से अब फर्क नही पड़ता।

वचन दिया था, वचन निभाया मैने। अब तु गर मिट भी जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

खुद को बदनाम होता देख भी, बहुत करीं हैं तेरे नाम की हिफाजत,
अब तु सरेआम बदनाम भी हो जायें तो फर्क नही पड़ता।

मेरी तो जो होनी हैं ,हो जायेगी कहानी। तेरी कहानी मे कितने भी किरदार अब आ जायें , फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (8)

तेरी उन झील सी गहरी आंखों मे डूब जाया करता था मैं, अब उन्हीं आंखों से नफरत सी हो गयी हैं, मुझे तेरी आंखों के राजों से अब फर्क नही पड़ता।

तेरी वो सरसों के खेत सी लहलहाती जुल्फें , जिनमे कभी उलझ सा जाया करता था मैं, अब इन जुल्फों के झड़ जाने से मुझे कोई फर्क नही पड़ता।

जिन्दगी मे तुम्हारा आना एक हादसा था, और अब जिन्दगी खुद हादसा हो गई हैं, अब ऐसे मतलबी हादसों से फर्क नही पड़ता।

कुछ ज्यादा ही कडवा हो गया हूं मैं, तेरी बेरुखी की कडवाहट को झेलते झेलते, अब कोई शहद का दरिया भी बन जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

हम आईना थे, आईना ही रहें। टुटे और टूटकर बिखर गयें।  पत्थर सा बना लिया हैं अब खुदको, अब इस टूटने बिखरने से फर्क नही पड़ता।

तु मगरूर हैं, तुझमे अब भी मेरी चाहत का गुरूर हैं । अब ना वो चाहत रही, ना वो हसरत रही। अब तेरी चाहत , तेरी नफरत ,जो कि थी तुने कभी उस झुटी मोहब्बत ,से कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नहीं पड़ता (9)

वो दौर बीत गया , जब आँसु तेरे मेरी आँखो से बहते थे,
अब तेरे दुख तेरे दर्द से कोई फर्क नही पड़ता।

मैने तेरे सपनो के लियें मेरे सपनो मेरे अपनो को खो दिया,
अब तेरी हकिकत से भी कोई फर्क नही पड़ता।

जो जिन्दगी सोची ना थी कभी, आज उसे जी रहा हूं मैं,
अब जिन्दगी के इम्तहानों की हार जीत से फर्क नही पड़ता।

मैने सच्चाई का दामन हैं जबसे थामा, बहुत सो की असलियत को हैं जाना,
अब कोई कितने ही नकाब ओढकर ही क्युं ना आ जायें, मुझे फर्क नही पड़ता।

दर्द से रिश्ता कहाँ जोड़ना चाहता था मैं, तुने ही कुछ तोहफ़े बेमिसाल दिये हैं,
अब कुछ देना कुछ देकर लेना, इस कारोबार से कोई फर्क नही पड़ता।

मोहब्बत को गर मोहब्बत से मोहब्बत सी मोहब्बत हो भी जायें,
सच कहता हूं उस मोहब्बत की कसम, अब मुझे कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (10)

पहली बारिश के बाद उठी मिट्टी की वो सोन्धी सी महक सी वो खुशबू तुम्हारी, जिसमे हम कभी खो जाया करते थे..अब ऐसी किसी खुशबू के एहसासों से फर्क नही पड़ता।

वो सावन की हरयाली सी आकर्षक छंटा तुम्हारी, ये छंटा गर अब सावन से पतझड़ हो भी जायें तो फर्क नही पड़ता।

तु पत्थर की मूरत बना रहा और मैं सरेआम लुटता रहा, गर ये पत्थर की मूरत अब खुदा भी हो जायें तो फर्क नही पड़ता।

तेरी रूह को अपनाना चाहता था मैं, तेरे जिस्म से मोहब्बत नहीं थी मुझे, यह जिस्म गर अब पूर्णिमा की रात्रि मे ताजमहल सा जगमगा भी जायें तो मुझे फर्क नही पड़ता।

मेरी जिन्दगी का अनकहा किस्सा हो तुम, मेरी रूह का एक टूटा सा हिस्सा हो तुम। अब तुम किसी और का नगमा गर बन भी जाओं तो मुझे फर्क नही पड़ता।

वो शामों को तेरी मुलाकातों का इन्तजार भी अब नही रहा, नफरत तो ना हुई मगर वो प्यार भी अब नही रहा।
तुझे भूलना तो आसान नही होगा, पर  तेरी यादों के एहसासों से भी अब कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नहीं पड़ता (11)

लोग कहते हैं मुझे, आजकल तु मेरी बातें बहुत करता हैं जमाने मे,
पर सच कहुँ मुझे तुझसे कोई उम्मिद ना रही, अब तु मुझे बुरा कहें, या भला कहें, मुझे फर्क नही पड़ता।

बहुत मांगा था तुझे मैने मेरी दुआओं मे,उस खुदा से मांगी सारी मुरादों मे, अब उन मुरादो के धागे भी टूट से गये हैं, दुआओ के जलाये दीप भी अब बुझ से गये हैं। पर अब इन दुआओं से भी कोई फर्क नही पड़ता।

तु सावन की बदरी सा , मुझको भिगाने आया था। कुछ बुन्दो की बारिश से तुने क्या खेल रचाया था। मैं फिरसे पतझड हुआ,तु जाने कब खो गया। अब सावन के इन झुलों से कोई फर्क नही पड़ता।

जो ख़ुशी मिली, जो हसीं मिली, वो धीरे धीरे चलीं गयी। एक आस तेरे संग जीने की जाने क्युं काश मे बदल गयी। अब आस नही कोई रखता मैं, तेरी तस्वीर भी पास नही रखता मैं। अब इन उजड़ी बातो से, तेरी झूठी यादों से मुझको फर्क नही पड़ता।

गीत ,गजल,की समझ नही, मैं जज्बातों को लिखता हूं। जो कुछ मेरे साथ हुआ उन हालतों को लिखता हूं। हूं मैं पागल कहते हैं सब, कुछ हाल ही मेरा ऐसा हैं। पर लोगो की बातों से, अब कोई फर्क नही पड़ता।

ये कलम मेरी कुछ कहती हैं, तुमको बयां कर देती हैं। मैं चीखता मेरे शब्दों मे, कुछ एहसासों को कहता हूं। कोई देखे या ना देखे मुझको, मैं तो कहता रह्ता हुँ, कुछ हाल हमारा ऐसा हैं , पर कोई फर्क नही पड़ता।

हाँ अब मुझको इन बातों से अच्छे-बुरे एहसासों से कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नहीं पड़ता (12)

मौत से लड़कर जीना सीखा हैं मैने,
पुरा जमाना भी खिलाफ हो जायें गर मेरे तो मुझे फर्क नही पड़ता।

सच्चाई का साथी हूं, सच के साथ ही खड़ा रहूंगा,
कोई कितना भी नाराज हो जायें मुझसे मुझे फर्क नही पड़ता।

सनातनी हूं, अपने धर्म और कर्म को बखुबी जानता हूं,
कोई मुझे कितना भी गलत ठहराये मुझे फर्क नही पड़ता।

लोगो की बातों को लोग ही जानते हैं, जो खुद के आगे उस ईश्वर को गलत बता दे ,
वो गर मुझे गलत कह भी दे तो क्या हैं,
जिनकी खुद कुछ औकात नही वो मुझे मेरी औकात पूछते हैं,
मैं जमाने की लगायी इन कालिखो पर मुस्कुरा देता हूं,
मलिन मन के लोग हैं यहां, समझ गया हूं मैं,
इनकी बातो से और उन बातों मे होती मेरी बातों से ,
मुझे कोई फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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फर्क नही पड़ता (13)

कुछ नाम हुआ, फिर बदनाम हुएँ,
किस्से कुछ ऐसे थे जो सरेआम हुएँ,
हम समझे थे इश्क जिसको,
वो किस्सा ही दिल का कत्ल-ए-आम हुआ।
कुछ टूटे हम, फिर बिखर गयें,
तलाश मे खुद की ही खुद मे उलझ गयें।
गले लगाना चाहा था, जिसे अपना समझकर,
उसी इन्सान ने मौत से आंखे चार करादी हमारी।
फिर होश आया तो पाया तन्हा खुद को,
जमाने की इस भीड मे।
समय लगा पर संभल गयें,
हम भी अब जमाने के उसूलों को समझ गयें।
अब किसी की बातों से कोई फर्क नही पड़ता,
अब बस जीना हैं, जब तक सांसें हैं,
अब मुझे जमाने से फर्क नही पड़ता।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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सच्चे लोग

जरा जरा सी बात पर जिनकी आँखे भीग जाती हैं, वो लोग जीवन मे कभी किसी का बुरा चाह नही सकते। पर एक सच यह भी हैं, वो जीवन मे कभी किसी को अपना बना...