Wednesday, 31 October 2018

हमसे ना हो पायेगा

खुद को बेच दूँ,
मैं पाने को मोहब्बत तेरी।
माफ़ करना जाना,
हमसे नही हो पायेगा।

जलता रहे मुझसे जुड़ा कोई रिश्ता,
और मैं खामोश खड़ा रहूँ समाज के बनाये नियमों के आगे।
माफ़ करना मेरे समाज के ,
तथाकथित ठेकेदारों,
हमसे ना हो पायेगा।

धर्म को मेरे होता देखूँ अपमानित,
उसके ही तथाकथित रखवालो के हाथों
माफ़ करना मेरे धर्म के कथित रक्षको,
हमसे ना हो पायेगा।

सत्य को पराजित होता देखूँ,
झूठ का माल्यार्पण हो।
फिर भी खामोश खड़ा मैं देखूँ,
हमसे ना हो पायेगा।

मेरे कर्मो का दोष सहना पड़े,
मात-पिता को मेरे।
उनका सर शर्म से झुक जाये जमाने मे,
मैं मुस्कुराओ मयखाने मे।
ना जी ना हमसे ना हो पायेगा।

मैं बुरा हूँ, तो बुरा कहो मुझे,
क्युं झुठा यह सम्मान का दिखावा करते हो।
झुठा सम्मान पाना गंवारा नही मुझे,
सच्ची बुराई सुनना चाहता हूँ।
झुठ को शिरोधार्य कर नाचूँ मैं,
और सच से छुपता जाऊँ।
ना हमसे ना हो पायेगा।

अपने जमीर को गिरवी रख कर ,
करे सौदा पाने को वाहवाही।
माफ़ करना दोस्तो
हमसे ना हो पायेगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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