Sunday, 28 October 2018

माँ

माँ एक स्त्री का वह रूप जिसके आगे सबकुछ झुक सा जाता हैं। जिसके हौसले, जिसके दर्द , जिसके परिश्रम और जिसके त्याग का वर्णन शब्दों मे कर पाना सम्भव नही हैं। कुछ दिन पहले मुझे एक तस्वीर मेरी प्यारी भांजी द्वारा भेजी गई थी, और उसने मुझे कहाँ था मामा इस पर आप कुछ लिख सकते हो? मैं तस्वीर को देखकर ही निशब्द हो गया था। फिर आज कुछ दिनो बाद उस तस्वीर पर कुछ लिखने का एक तुच्छ सा प्रयास किया हैं, जो आपके समक्ष उपस्थित हैं। कुछ भुल हुई हो तो क्षमा कर दिजियेगा।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

क्या तोडेंगे मुझे यह हालात,
जब सवाल मेरे बच्चो के भविष्य का हो।
झुका दूंगी अपने हौंसलो से मैं,
यह आसमां भी जब इम्तिहान मेरे बच्चों की खुशी का हो।
क्या नही हैं जो मेरी जद मे ना हो,
मैं झुका दूँगी यह दुनिया भी कदमों मे तेरे गर जो सांसें तेरी गर्दिश मे हो।
मैं सारी खुशियाँ लाकर तुझे दूंगी,
तेरे अधरो की हसीं के लिये इस जहाँ के सारे गम खुशी-खुशी सह लुंगी।
कोई क्या रोकेगा मुझे, भविष्य तेरा संवारने से,
मैं तेरे रास्ते की हर अडचन को हर लुंगी।
मेरे लल्ला तु जुग जुग जियें,
तेरे लिये मैं, हर जंग लड़ लुंगी।
क्या तोडेगा यह जमाना मेरे हौसले की दीवारों को,
तेरी खुशियों के आगे तो मैं बगावत ईश्वर से भी कर लुंगी।

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

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