मेरा मुल्क, मेरी माता, मेरे पिता,
मेरे गुरु, मेरे अन्नदाता, मेरे रक्षक।
और यह प्रकृती और उसके तत्व बस यही हैं मेरी इबादत,
इनसे शुरु भक्ति मेरी, इन्ही पर खत्म मेरी इबारत।
जब जब शीश झुका प्रभु के आगे,
मन मे जब जब इबादत के भाव जागे,
हो आया स्मरण इन्ही का,
मुझे प्रभु मे नजर आया हर पल बस चेहरा इन्ही का।
मैं पूजता हूँ इन्हे, हैं ईश्वर का प्रत्यक्ष प्रमाण यह,
पहचान के मोहताज नही , हैं धड़कन का राग यह।
माँ जिन्होने जन्म दिया, कितनी सारी पीड़ाओ को सहकर,
मेरे जीवन को अस्तित्व दिया।
पिता जिन्होने मेरे सारे सपनो का ख्याल रखा,
खुद फटे वस्त्रो मे जीते मुझे नया सब हर बार दिया।
मुल्क मेरा माटी वो मेरी जिसने मुझे रहने को उचित स्थान दिया,
मेरे नाम के साथ मे जिसने भारत के मूल निवासी का मुझे गौरव प्रदान किया।
गुरु मेरे जिन्होने मुझको शिक्षा का स्वर्णिम दान दिया,
एक अबोध बालक को जिन्होने शब्दो का बौद्धिक ज्ञान दिया।
अन्नदाता मेरे वो जिन्होने ने अन्न मुझे प्रदान किया,
लाख दुख तकलिफों को सहकर, धरा से अन्न उत्पन्न किया।
रक्षक मेरे वो जो सीमाओ के प्रहरी बनकर खड़े रहे,
भुला के अपने परिवार को मेरी रक्षा को तत्पर रहे।
यह प्रकृती जिससे मैं हर पल लेता आया हूँ, बिना किसी मौल-भाव के जिसने सबकुछ मुझे दिया,
मैने तो कदम कदम पर इसका बस तिरस्कार किया।
तत्व यही पन्च जिन्होने जीवन को आधार दिया,
बिना किसी भी भेद-भाव के सबको अपना करके जिन्होने हर पल परोपकार किया।
इनके अलावा चंद्र , सुर्य भी इबादत के हकदार हैं,
दो प्रत्यक्ष प्रणेता ऐसे जो निश्चल सतत कर्म के असल उदाहरण आधार हैं।
यही सब हैं जीवन मेरा, यही मेरे जीवन के असली रिश्तेदार हैं,
कब माँगा इन्होने कुछ मुझसे, हर पल देते आये हैं।
सारे भेद-भाव को भूलकर बस परोपकार ही करते आये हैं,
क्यो ना पूजूं मैं इनको कोई कारण एक तो बतला दो,
मेरी नजर मे तो बस यही हैं जो "इबादत" के हकदार हैं।
🙏🙏🙏
"आयुष पंचोली"
©ayush_tanharaahi
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