आम आदमी जो आडम्बरों मे फँसता सबसे ज्यादा हैं,
उसका एक रास्ता यह घटिया नाटको से होकर ही जाता हैं।
आम आदमी ही होता हैं जो सबसे ज्यादा इन बकवास पटकथाओं को देखता हैं,
क्या करे बेचारा दिन भर की काम की थकान का मारा इन कथाओं मे ही कहीं अपनी निजी जिन्दगी की खुशियाँ देखता हैं।
कुछ अच्छे सच्चे और प्रेरणा दायक पटकथाये भी कुछ channel वाले बताते हैं,
कुछ सिर्फ अंधविश्वास का पुरजोर समर्थन करते नजर आते हैं।
T R P के लिये हद से ज्यादा यह channel वाले गिर जाते हैं,
कुछ अच्छा नही मिलता तो सिर्फ बकवास ही दिखाते हैं।
कोई बताता हैं कथायें भारत के गर्वित इतिहास की,
जिसे देखकर मन मे भी कुछ नया कर गुजरने का हौंसला भर आता हैं।
कोई भुत , प्रेत, डायन , इच्छाधारी नाग- नागिन की मनघडंत कथाओं को दिखा दिखा कर सिर्फ अन्धविश्वास को बड़ावा देता नजर आता हैं।
सिर्फ T R P पाने के लिये जो लोगों की भावनाओं से खेल जाते हैं,
और इनकी इन्ही मनघडंत झुठी कहानियों मे आम-आदमी यकिन कर , बेवजह के झूठे आडम्बरों मे धंसते चले जाते हैं।
कौई ना जाने सरकार भी इनपर लगाम क्यो नही लगा पाती हैं,
लगता हैं आम-आदमी मे अंधविश्वाष का जहर घोल खुद यह सरकारे अपनी रोटियाँ सेकना चाहती हैं।
एक महिन सा अन्तर होता हैं, विश्वास और अंधविश्वास के बीच,
विश्वास वह जो भरोसा करना सिखाता हैं, मगर तथ्यों के साथ,
और अंधविश्वास वो जहाँ कोई तथ्य नही होता।
क्या सच मे हमारे देश की जनता देश के वीर सपूतो की गाथाओ, वेद पुराणो की बातों, और ईश्वर के अस्तित्व को भुला,
यह भुत, चुड़ैल, प्रेत, डायन, इच्छाधारी नाग-नागिन की अंधविश्वाष से युक्त कथाओं को देखना चाहती हैं।
सच को भुला वापस झुठ का चोला पहन,
आडम्बरों के आगे शीश झुकाना चाहती हैं।
क्यो नही करते हम बहिष्कार किसी घटिया सोच की उपज से उपजे ऐसे अन्ध्विश्वास से युक्त कथाओ का,
क्यो बढ़ावा देते हैं इन्हे, जिनका धन्धा ही हैं गोरख काली कमाई का।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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