जो दिल मे आता हैं, बेजिझक बयाँ कर देते हैं,
हमे शब्दों की कारीगरी नही आती।
बचके चलते हैं, इस बेदर्द बेदर्द दुनिया के जालिम लोगो से,
हमे झूठी बातों से दिल बहलाने की कलाकारी नही आती।
क्या करे बड़े नादान हैं हम,
समाज के बनाये नीयमो के शिकार हैं हम ।
दूर से ही प्रणाम कर निकल जाते हैं ,
अब इस समाज की दुहाई देने वाले कुछ महानुभावों को,
क्या करे हमे झूठी दुनियादारी नही आती।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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