मेरी किस्मत भी मेरी गुलाम बनकर चलती हैं दोस्तों,
मैं माँ के चरणों की रज का टीका लगाकर घर से निकलता हूं।
मुझे कोई डर नही इस जमाने के छलावो का,
मेरी माता का हर पल साथ आशीर्वाद मेरे हैं।
कोई क्या रोक सकता हैं, यूँ ही बड़ते कदम मेरे,
मेरे सर पर सदा माता का मेरी हाथ रहता हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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