बुरा ना मानियेगा एक सत्य तो यह भी हैं, हम सभी मे कहीं ना कहीं एक रावण छुपा हुआ हैं। बस फ़र्क हैं, तो इतना आज कोई राम नही बचा, जो हमारे भीतर छुपे रावण की तलाश मे अपना सबकुछ छोड़ कर निकल पड़े। ना ही वो मर्यादा बची हैं, जो राम और रावण के बीच का अन्तर बताती थी।
अगर राम महान थे, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये ।
तो रावण भी महान था, उसकी प्रतिज्ञा के कारण ही राम श्री राम बन पाये।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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