माँ के बाद स्त्री का एक महान रूप होता हैं, पत्नी । एक ऐसा रिश्ता जो सबसे ज्यादा मर्यादाओ से बन्धा होता हैं। एक पत्नी का जीवन पति ही नही उससे जुडे सभी रिश्तो से जुडता हैं। वह किसी की भाभी बनती, तो किसी की ननंद , किसी की बहू तो किसी की देवरानी और जैठानी। और जो स्त्री इस रिश्ते को सफलता पूर्वक निभा जाये वह अपने आप मे देवी तुल्य हो जाती हैं। यह रचना जिसका शीर्षक पत्नी हैं, यह मेरी सभी शादी-शुदा बहनों को समर्पित हैं।
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पुरुष से स्त्री विवाह उपरांत बनता हैं एक नया रिश्ता,
रिश्ता हैं समर्पण का, त्याग का, नारी के सपनो के बलिदान का।
पत्नी कहलाती हैं वो, बँधकर इस रिश्ते मे,
किसी की अर्धांगनी का उसे अधिकार मिलता हैं।
अगर सच कहे तो, उठाने को एक साथ दो कुलों की
जिम्मेदारी का कार्य मिलता हैं।
सबसे अधिक मर्यादाओ से बंधा जो रिश्ता हैं,
उसी का नाम पति-पत्नी का रिश्ता हैं।
कितने ही त्याग, कितने ही अपमान सहती हैं वो,
कितनी ही कड़वी बातों को रोज जहर के समान पीती हैं वो।
फ़िर भी कितने ही व्रत, कितनी ही पूजाओ से,
अपने रिश्ते के मान को संझोती हैं वो।
पुरुष के सारे रिश्ते जब छूट जाते हैं,
सभी अपने भी जब पराये हो जाते हैं।
तब भी सारी मुश्किलों मे , हर दर्द को खुद मे समेटे,
पुरुष का हाथ थामे खडी रहती हैं वो।
मार भी सहती हैं, खाती हैं गालियाँ भी,
रोती हैं छुप-छुप कर , छुपाती हैं रिश्ते की लापरवाहीयाँ भी।
कभी मान नही पाती इस रिश्ते मे वो,
हर पल सम्मान देती ही नजर आती हैं।
क्या बहू, क्या बेटी, क्या बेटा और क्या परिवार,
अन्त समय मे पत्नी ही साथ निभाती हैं।
कुछ शब्द नही मिलते मुझको मैं कैसे,
उस पवित्र बन्धन की मर्यादा को बयां करुँ।
कैसे किसी पत्नी के त्याग को शब्दो,
मे मैं पिरो सकूँ।
पत्नी का असल महत्व तो वक्त ही समझाएगा,
वकत ढल जाने दो थोडा और तब इस रिश्ते का महत्व समझ आयेगा।
उम्र भर का सारा दर्द , सारी थकान ,
उसकी गोद मे, उसके साथ होने से ही ,
छुमंतर हो जायेगा।
पत्नी क्या होती हैं, यह तुम्हे बुढापा बतायेगा......!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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