एक सीधा साधा लड़का था,
जो दुनिया से डरता था।
समझ नही थी उसको रिश्तो की,
पर प्यार वो सबको करता था।
बच्चो के साथ बच्चा बन जाता,
बड़ो का आदर करता था।
कौई नही था ऐसा,
जो उसकी बातें नही करता था।
फ़िर हुआ कुछ ऐसा वो,
लड़का सबसे रूठ गया।
हर पल हँसते रहने वाला,
उदासी के सागर मे डूब गया।
ना कुछ कहता , ना कुछ सुनता,
खोया खोया रहता था ।
जब भी अकेले होता तो ,
लगता वो रोया रहता था।
हार गया था खुद से ही ,
एक चोंट गहरी सी उसने खाई थी।
चला गया था सबसे दूर वह,
अन्त समय को पाने को।
हार के अपना सबकुछ वह,
चला था मृत्यू को गले लगाने को।
था जाकर लेटा पटरी पर,
मौत को गले लगाने को।
पर हुआ कुछ ऐसा उस दिन,
जो सोचा ना किसी ने था।
किसने बचाया उस पगले को,
उसको भी यह होश ना था।
या कह सकते हैं हम,
ईश्वर उस दिन उसके साथ मे था ।
कुछ दिन बीते यू ही गमों मे,
फ़िर उसने कुछ पाने का ठान लिया।
मोह माया की इस दुनिया से,
दूर ईश्वर को अपना सबकुछ मान लिया।
परोपकार को मन मे बसाया,
ग्रंथो से दोस्ती कर बैठा।
धर्म को भुला , इंसानियत को ही,
कर्म, धर्म मान बैठा।
कुछ खोया उसने ऐसा था,
जिसने उसको बदल दिया ।
सबसे प्यार निभाने वाला,
सबको दिल से अपनाने वाला,
मन से रिश्ते निभाने वाला,
अब सबकुछ हैं त्याग चुका।
ना जाने क्यों किसी ने,
उसके जीवन को इस तरह छला।
ना अब वह जीना चाहता हैं,
ना उसके मन मे कोई ख्वाईश हैं।
एक अलख उसके जीवन मे,
उसको जिन्दा रखती हैं।
उसकी चाहत शिव को पाने की,
उसको हिम्मत देती हैं।
पागल कहता हैं, मैं शिव को पाऊँगा,
कभी बुरा नही किया किसी का,
ना ही कभी कर पाऊँगा,
मैं इस जीवन को समर्पित कर चुका हो शिव को,
एक दिन उसमे ही समा जाऊँगा...........!!!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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