नफरत हुई नही तुमसे, मोहब्बत आज भी हैं,
तु करीब नही मेरे, तेरी सुगबुगाहट आज भी हैं।
तु अन्जान बनता हैं, मुझे सामने से गुजरता देखकर,
मैं जानता हूं ,तेरी गलती का एहसास तुझे आज भी हैं।
तु मुझे ठुकरा के अर्श से फर्श तक पहुँचा,
मैं नाकाम रहा मोहब्बत मे , पर मेरी सच्चाई पर मुझे गुरूर आज भी हैं।
मैं बदल गया हूं बहुत, नजरों मे जमाने की,
मैने अपने आप को ,माँ-बाप की नजरों मे उठते देखा हैं,
कुछ ना होकर भी इनकी खुशी मे जो पाया, वो सुकून आज भी हैं।
मैं अच्छा हूँ ,या बुरा ,मुझे मालूम नही,
मैने अपनी नजरों मे खुद को गिरने ना दियाँ,
आत्म सम्मान की मेरी वो दौलत ,पास मेरे आज भी हैं।
जख्म गहरे जो मिलें ,वो मौत से तो कम नही थे,
फिर भी आज जी रहा हूं, हँस के गम सब पी रहा हूँ,
पता हैं मुझे, कुछ अपनो की दुआओं मे असर आज भी हैं।
बेशक टूटा हूँ कई बार मैं, फिर टूटकर खड़ा हूआ हूं,
खुद के बिखरने से पहले ,अपनो के सब सपने सँवार जाऊँगा,
किसी और से नही , खुद से खुद का वो वादा आज भी हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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