परिवार !!!
व्यक्ति के जीवन का आधार हैं परिवार,
चार पिल्लरों पर स्थिर मनुष्य के अस्तित्व का मुख्य द्वार हैं परिवार।
(प्रभु, प्यार, व्यापार, परिवार)
इन्सान के ज्ञान का पहला अक्षर हैं परिवार,
ईश्वर का दिया वरदान हैं परिवार।
दुख, दर्द, तकलिफों का छूटकारा हैं परिवार,
हारे हुएँ इन्सान का सहारा हैं परिवार।
खुशी मे खुशी-खुशी साथ जो निभायें,
दुख की घड़ी मे जो ढाल बनकर खड़ा हो जायें,
ऐसा एक अनमोल रिश्ता,
जो एहसासों के बन्धन से बंधता,
उन्ही एहसासों के दरिया का किनारा हैं परिवार।
दादा-दादी , नाना-नानी, चाचा-चाची, मामा-मामी,
मौसा-मौसी, पापा-मम्मी, भैया-दीदी
कितने ही नामों मे , कितने ही रिश्तों मे बँटा,
पर सबको अपने भावों से जोड़े रखता हैं परिवार।
जब कोई साथ नही आता, तब जो साथ निभाता हैं,
जो साथ खड़े हो जायें तो दुश्मन भी घबराता हैं,
व्यक्ति के जीवन का ऐसा मजबूत स्तंब होता हैं परिवार।
जो आपस मे लडता हैं, हँसता हैं , रोता हैं,
फिर भी जरुरत के समय हर पल खड़ा होता हैं,
खून से ज्यादा जो एहसासों, भावों,
और जज्बातों की कीमत समझता हैं,
व्यक्ति के जीवन का ऐसा एक हिस्सा होता हैं परिवार।
सच मे व्यक्ति के जीवन का आधार,
मनुष्य के अस्तित्व का मुख्य द्वार,
होता हैं परिवार।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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