ना ही स्त्री , ना पुरुष हूँ,
ना ही माता, ना पिता हूँ,
ईश्वर के द्वारा रचित,
शापित योनी को भुगत रहा,
तथाकथित सभ्य समाज से
बहिष्कृत मनुष्य हूँ........
मैं किन्नर हूँ .........!!!!!
कौन जान सकता हैं, दर्द मेरा।
इन समाज के ठेकेदारो द्वारा,
किया गया शोषण मेरा।
जन्म हुआ मेरा इस रूप मे,
इसमे मेरा क्या दोष था।
दिखने मे मैं मनुष्य तो हूँ,
पर स्त्री और पुरुष,
दोनो के ही अँगो से मे युक्त हूं।
मैं की किन्नर हूँ.....!!!!!
ना ही अपनो द्वारा गया अपनाया,
समाज के द्वारा हर पल गया ठुकराया।
तुम क्या जानो अभिशप्त जीवन को,
जीना कितनी बड़ी कला हैं।
मैं अपमान सहता हूँ,
सबके कटु प्रहार सहता हूँ।
फिर भी सबको दुआ ही देता हूँ।
मैं किन्नर हूँ.......!!!!!
कभी सहलाता हूँ,
खुद ही को खुद की माँ बनकर।
कभी पिता बन खुद ही का,
खुद को दिलासा देता हूँ।
आँसुओ को पिता रहता,
पर फिर भी सभी को ,
दिल से दुआयें ही देता हूं।
मैं किन्नर हूँ......!!!!!!!
बड़ी चुनौतियों से भरी हैं,
जिन्दगानी मेरी।
बयां नही हो सकती चंद
अल्फाज़ो मे कहानी मेरी।
सबने छीना हैं मुझसे,
कुछ ना कुछ।
सब ही के शुभ कार्यो मे फिर भी
मैं दुआएं ही देता हूँ।
मैं किन्नर हूं........!!!!!!
ईश्वर ने छीना मुझे मेरा,
स्त्रीत्व या पुरूषत्व।
माँ, पिता ने मुझे अपने
दुलार से वंचित किया।
समाज ने छीना हैं हक मुझसे,
सर उठाके चलने का।
सरकार ने भी हर जगह हमको,
तिरस्कृत ही किया।
पर मेरा कोई बैर नही हैं किसी से,
मैं सबको दुआएं ही देता हूँ।
मैं किन्नर हूँ.........!!!!!!!
हाँ अलग हूँ,
समाज से तिरस्कृत हूँ।
हर रोज जीता हूँ,
हर रोज मरता हूँ।
खुद ही खुद का दर्द,
घूँट-घूँट कर पीता हूं।
अभिशाप युक्त जीवन से,
ज्यादा दुख अपनो की घृणा मे देखता हूँ।
हर रोज टूटता हूँ,
हर रोज बिखर जाता हूँ।
हौंसला रख फिर खडा हो जाता हूँ।
मैं किन्नर हूँ.......!!!!!
हाँ हूं समाज से अलग , मैं किन्नर हूँ .....!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan
No comments:
Post a Comment