Friday 18 January 2019

एक सच्ची कहानी, मेरी जुबानी

एक लड़का था पागल सा,
एक गरीब परिवार मे जन्मा था।
माँ बाप का अपने वो एक लौता सहारा था,
सबकी नजरों मे एक शख्स दिल का बड़ा प्यारा था।
अव्वल आता था पढाई मे हर जगह,
रिश्तों का ख्याल उसे बहुत ज्यादा था।
भोला-भाला, सीधा-साधा सबसे जुदा,
लोगों द्वारा हरपल छला जाता बेचारा था।
पिता थे अध्यापक उसके ,
सपना पिता का बनाना उसे प्राध्योगिकी का ज्ञाता था।
पर सपना उस लड़के का बनना,
ज्योतिष का ज्ञाता और I.A.S था।
बचपन से वो बेचारा प्यार किसी को करता था,
उसके दिल मे सिर्फ ख्याल एक उसी का पलता था।
पिता की आज्ञा का पालन उसने किया,
लाकर अव्वल अंको के साथ प्राध्योगिकी का प्रमाण पत्र उसने उन्हे दिया।
इसी के साथ उसके प्यार को 9 वर्ष का समय भी पुरा हो गया,
लड़का एक नामी कंपनी मे प्रबंधक बन गया।
पर किस्मत को कहां उसकी खुशी रास आई,
9 वर्षो के प्रेम को वो लड़की युहिं ठुकरा के कहीं और चली आई।
थी कोई दोस्त उस लड़की की जो कहती रहती थी लडके को,
वो धौखा दे रही हैं तुम्हे, पर उसे किसी पर विश्वास नही होता था।
सोचो उस शख्स पर क्या गुजरी होगी,
जो किसी को प्यार करता हो और उसकी कोर्ट मैरिज का गवाह भी वही बना हो।
टूट गया था बहुत वह, खुद को खत्म करने का कदम उठा बैठा था,
मगर किस्मत को ना जाने क्या मन्जूर था, जो ईश्वर उसे बचा बैठा था।
पर एक मानसिक बिमारी ने उसको जकड़ लिया,
दुआ आई किसी की काम या कर्म उसके अच्छे थे, उसे फ़िर जीने का एक और मौका ईश्वर ने दिया ।
फ़िर आया कोई वापस उसकी जिन्दगी मे उसी शिद्दत उसी मोहब्बत के साथ,
पर उसका अन्जाम भी वही रहा, मोहब्बत मे धौखा उसे एक बार फ़िर मिला।
इसी बीच उसका कोई अपना,
स्तन कैंसर का शिकार हो उसका साथ हमेशा के लिए छोड़ गया।
इस बार फ़िर वहीं हुआ, टूट कर बिखर गया था वो,
अपने अन्त को गले लगाने चला था वो।
लगभग 3 माह अस्पताल मे रहने के बाद,
वो फ़िर खड़ा हो गया।
आज वो जी रहा हैं,
मगर सपने सारे उसके मोहब्बत की भेंट चढ़ गये।
अब वो सिर्फ खुद के और ईश्वर के लिये जीता हैं,
सबकुछ खोकर भी उसने पाया हैं बहुत कुछ इसी आस मे गम सारे पीता हैं।
माँ, पिता साथ तो हैं उसके ,
मगर अफ़सोस अपनी करनी पर करते हैं।
क्यो समझ नही पाये वो हालात अपने बच्चे के,
क्यो साथ नही दे पाये उसका, सोच कर मन ही मन जलते हैं।
आज वो लड़का एक ज्योतिषी बन बैठा हैं,
मोहब्बत के नाम से बस वह नफरत ओड़े बैठा हैं।
माता-पिता को उसके, जमाने वाले उसके नाम से जानते हैं,
लोग सारे उसे गुरुजी के नाम से पुकारते हैं।
शाक्य पंथ को अपनाकर , माता की साधना मे वो लिप्त रहता हैं,
उसके जीवन मे अब सिर्फ परोपकार ही सर्वोपरी रहता हैं।
माता पिता को उसके गर्व तो हैं उसपर,
मगर एक टीस मन मे हर पल होती हैं।
क्या सच मे जिन्दगी किसी की भी,
बिना इम्तहान के पूरी नही होती हैं।💖
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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