हैं कोई,
जो लौटा दे मुझे मेरा वो बचपना,
जहाँ मिट्टी मे खेलना दिल को बहुत भाता था।
जो भी आता, प्यार जरुर जताता था।
ना फिक्र थी कोई,
ना कोई उम्मीद , ना डर कल का सताता था।
उंगली थाम माँ की मन्दिर जाता,
पिता के कांधो पर बैठ जब सारा बाजार घूम आता था।
जब भी आँखो से छलकते थे आँसू,
कोई झट से मीठी सी टॉफी थमा जाता था।
अब यह दुनियादारी छलती बहुत हैं,
सूरत अच्छी सीरत काली बहुत हैं।
वो मिट्टी से ज्यादा गंदी लोगो की नीयत हो गई हैं,
आँसुओ की आजकल कीमत खो गई हैं।
कैसा अत्याचार खुदा ने मुझ पर यह किया हैं,
देकर लालच जवानी का मेरा बचपन ही हर लिया हैं।
अब याद बहुत आते हैं वो पल,
वो तुतलाई सी बोली,
वो सस्ती वाली, मगर खुशियों का खजाना ,
वो मीठी सी गोली।
माँ की वह प्यारी सी डांट,
और उस पर पापा का बहुत सारा प्यार।
वो मिट्टी के राजा-रानी,
हाथी-घोड़े की सेना ,
और वो प्यारी सी हसीन,
सपनों की दुनिया की कहानी।
लौटा दो मुझे,
मैं वापस वही जाना चाहता हूँ।
नही लगता मन इस दिखावे की दुनिया मे,
मैं तो मेरा बचपन फिरसे जीना चाहता हूँ।
कोई दुजी ख्वाईश नही मेरे मौला,
ना ही मुझे जन्नत की तलाश हैं।
मुझे उस बचपन मे दोबारा भेज दो,
जहाँ, मेरी हर खुशी मेरे माँ-पापा के साथ हैं।
नही चाहिये यह उँची इमारते,
यह बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ मुझे।
मुझे तो बस उस बचपन को,
फिरसे जीने की आस हैं........!!!!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan
No comments:
Post a Comment