Sunday, 4 November 2018

जज्बात-ए-दिल

हमने जितना पढा ,सिर्फ़ तुमको पढ़ा ,
हमने जितना लिखा, सिर्फ तुमको लिखा।

तुमको चाहा बहुत, तुमको पूजा बहुत,
दिल अपने सदा सिर्फ तुमको रखा।

क्या पता , क्या खबर, क्या खता हो गई,
मेरी चाहत ही मुझसे जुदा हो गई।

वो कुछ नही जानती, बडी ही नादान हैं,
मेरी सोच ही मेरी सजा हो गई।

वो तस्सवूर के आलम भी खो से गये,
धड़कनो की रवानी फना हो गई।

वक्त का खेल था, या सितमगर थी तु,
देख मेरी कहानी क्या से क्या हो गई।

इश्क मे अश्क मिलते हैं, सुनता था मैं,
अब अश्को को ही मुझसे मोहब्बत हुई।

तु जहाँ भी रहे, यह दुआ हैं मेरी,
मेरे हालात से कभी वाकिफ तु ना हो।

तूझे तुझसे ही नफरत सी हो जायेगी,
गर कभी मेरे हालातों से गुजरेगी।

आयुष पंचोली
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