Friday, 14 December 2018

चलचित्र का साया

मेरे भारत की दशा देखो क्या हो गई,
होती थी जहां आरती भारती की,
नारी को नारायणी मान पूजा जाता था,
आज वहां कीसी नारी की आबरू सरे आम निलाम हो गई।
मेरे भारत की यह दुर्दशा हो गई।

होते थे जहाँ आदर्श युवको के विवेकानंद,शिवाजी,
राम , महाराणा प्रताप , भगत सिंह, जैसे युगपुरुष।
आज उन्ही युवको के आदर्श यह भांड हो गये।
वह भी थी एक नारी यहाँ, जिसने अंग्रजों को,
नाको चने चबावा दिये थे।
थी एक नारी ऐसी भी जिसने ,
देश के मान के लिए अपनी संतानो के शीश भी कटा डाले थे।
वो नारी जो गौरव थी माँ भारती का,
आज उसकी यह दशा निराली हो गई।
जो पूजती थी विवेकानंद और राम को,
आज बॉलिवुड के भान्डो की दिवानी हो गई।

ढकती आई थी अब तक जो अपने सम्मान को,
मानकर अपना सबकुछ अपने परिवार की मर्यादा को।

वो पुरुष जो पर स्त्री को माता तुल्य समझता था,
स्त्री के सम्मान की खातिर शेर की तरह गरजता था।

अब ना पुरुष का शौर्य बचा हैं,
ना नारी की मर्यादा हैं।

सब के उपर छाया देखो,
कैसे भान्डो का साया हैं।

सोच पर गहरा असर हुआ हैं,
सभ्यता का हुआ विकास यहां,
पर संस्कृति का अपनी हास हुआ हैं।

चलचित्र का ऐसा साया,
जिसने परिवार और रिश्तों को छला हैं।

जिनका खुद का कोई वजूद नही हैं,
जिनका खुद का कोई ईमान नही हैं।

प्रेम को जो वासना समझे,
रिश्तो को जो बोझ मानते।

ना जाने क्यो युवा उनको,
हैँ अपना आदर्श मानते।

सच कहूँ तो सबसे ज्यादा देश की दुर्गती का ,
युवाओं के पथभृष्ट होने का ,
हमारे मौलिक संस्कारो के खोने का,
सोच हरपल अपाहिज होने का,

कारण यही हैं..........!!!!!
मेरे देश की दुर्दशा का कारण यही हैं....!!!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

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