वो जो कभी दिन की शुरुवात का एक ताजा सा एहसास हुआ करता था,
वो जो रातों का मेरी एक प्यारा सा जज्बात हुआ करता था,
वो जो ख्वाबों का मेरे राज हुआ करता था।
ना जाने क्यो मेरी ख़ामोशियों की वो वजह हो गया,
जो मेरी बातों मे दिन रात हुआ करता था।
अब जिन्दगी एक अनसुलझे सवाल से ज्यादा कुछ नही रही,
वो जवाब ही गुम हो गया , जो सारी पहेलियों का एक मार्ग हुआ करता था।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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