जरा सी शौहरत क्या मिली उन्हे,
उन्होने अपनी असल पहचान बता दी।
लगाये फिरते थे जो मुखोटा अपनेपन का,
उन्होने भी आज अपनी औकात दिखा दी।
अरे हम तो भक्त हैं उस शिव के,
हमने तो देना ही सिखा हैं हर पल।
यह मान, अपमान का खेल हमसे ना हो पायेगा,
हम तो सिर्फ उसी को अपना मानेंगे जो राख मे ना मिल पायेगा।
तुम अपनी गैरत को अपने हाथों से लुटवा दोगे,
अहम मे जीते हो इतना की खुद अपने दाम गिरा दोगे।
खैर छोड़ो, भैंस के आगे बिन नही बजाई जाती हैं,
घर की इज्जत बाजारों मे नही उछाली जाती है......!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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