ये हीर-राँझे, लैला-मजनू, शिरीन-फरहाद की बातें ,
किस्से कहानियो मे ही रहने दो।
गर इश्क हैं, तो उसे खुलकर सांसें लेने दो।
क्या रखा हैं बातो मे , जज्बातों को,
एहससों से रिश्ता बुनने दो।
वफ़ा की सिर्फ बातें मत करो,
नजरो मे हया को रहने दो।
सम्मान हो पवित्र प्रेम का ताऊम्र,
इसे इतना काबिल तो रहने दो।
रूह से मुकम्मल कर सको तो कहो जाना,
ये जिस्मो का बन्धन , इश्क के सुरूर से दूर ही रहने दो।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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