Wednesday, 14 November 2018

कुछ ऐसे ही

विषधर इतना जहर ना उगले,
जितने झुठ यह बोले हैं।
राजनेता का रूप निराला,
समाज मे जहर ही घोले हैं।

भाई ही भाई का नही यहां पर,
राजनीति के सारे खेल मटमेले हैं।
सफेद पौष मे , काले मन हैं,
सारे ही सत्ता के ये झमेले हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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