जब रूह का इश्क से
सामना हो गया।
रब हुआ मोहब्बत मेरी,
वतन मेरा इश्क हो गया।
अब किसी की झुल्फ़े, किसी की अदाये,
किसी की आँखो , किसी की बातों का कोई असर नही होता।
दिल मे बसी हैं मोहब्बत वतन और रब के लिये,
अब यह महबूब की महबूबा का इश्क हमसे नही होता।
बस बची हुई कुछ साँसों को उस प्रभू ,
और इस वतन के नाम से जीना हैं।
यही हैं,
यही गंगा मेरी, यही काशी
और यही मक्का मदीना हैं.....!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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