कही इश्क, कही वतन, कही रब, कही बगावत तो कही इन्साफ मिलेगा, यह काव्य का मंच हैं साहब, यहाँ सबका मजहब भाषा की पहचान मिलेगा।
आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
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