शब्द घाव हैं, तो मरहम भी है शब्द,
सरहदो से परे सरहदो के निर्माता हैं शब्द।
भाषा की सुन्दरता हैं,
अभिव्यक्ति की परकाष्टा हैं शब्द।
कही मान का अभिवादन,
तो कही अपमान का सम्बोधन हैं शब्द।
कही स्वच्छ, अलौकिक, निर्विकार,
तो कहीं अभद्रता की मिसाल हैं शब्द।
शब्द सिर्फ शब्द नही होते
भाषा का मान,सम्मान, अपमान
सब तय कर जाते हैं शब्द।
मुख से स्फूटित होते ही
किसी के लिये दर्द तो किसी के लिए,
मर्म हो जाते हैं शब्द।
शब्द आइना हैं,
तो छलावा भी हैं शब्द।
शब्द सत्य हैं,
तो धौका भी है शब्द।
भावो को विचारों मे पिरोते हैं,
शब्द ही हैं जो एक वाक्य मे भी,
कितने ही ग्रंथों को संजोते हैं।
शब्द मर्यादा मे हैं तब तक,
काव्य की गरिमा के संरक्षक हैं।
मर्यादा खोकर बन जाते यह ,
भाषा के ही भक्षक हैं।
शब्द हैं , अन्तहीन हैं,
मृत्यु भी अन्त नही जिसका,
नही होना इन्हे कही विलीन हैं.......!!!
गुजारिश सिर्फ इतनी हैं,
शब्दों का मान रखे,
शब्द भाषा की पहचान हैं,
इनकी मर्यादा का भान रखे।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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