Tuesday, 23 October 2018

कुछ ऐसे ही

"कुछ जज्बात सिर्फ इसलिये बयां होते हैं, की उनके एहसासो की खूबसुरती कभी उन्हे आपसे जुदा ही नही होने देती। उनके बयां होने का कोई समय निर्धारित नही होता। जब भी दिल के कोने मे दफन कोई याद कोई जज्बात जब सिधे आपके दिमाग पर दस्तक देता हैं ,और ठीक उसी समय जब आप उसी दुनिया मे चले जाते हैं, जब आपने वो लम्हा जीयां। उसी क्षण वह विचार वह एहसास शब्दो मे ढल जाता हैं। लोग कहते हैं, आप लिखते हो पर हम लिखते नही हैं हम हमारे एहसासो को हमारे जज्बातो को शब्दों के जरिये मूर्त रूप देते हैं। जो किसी के दिल पर जाकर लगते हैं, तो किसी की सोच पर। जज्बात हैं भाई बयाँ होते हैं , तो सोचने पर तो मजबूर करते ही हैं। पर एक सुकून सा मिलता हैं अपने जज्बातों को शब्दो मे ढाल कर।"
©ayush_tanharaahi

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