Tuesday, 23 October 2018

कुछ ऐसे ही

"सफर तय करते करते , सफर की आदत सी हो गई हैं,
राहें पथरीली सी है, पैर जख्मों से सने हुए हैं,
एक थकान सी मह्सूस होती हैं, ज़िन्दगी मे,
बहुत वक़्त हो चुका हैं, चलते चलते,
पर सफर हैं की पुरा ही नही हो रहा,
पर इस सफर का भी , अपना ही मज़ा हैं,
मैं एक राहगीर की तरह , राहों से ही इश्क़ फरमा बेठा हूं,
और अब एक एहसास सा उठता हैं,
ये सफर कभी मुकम्मल ही ना हो ,
बस चलता रहे युंही,
मैं तैयार हूँ, राहों पर आगे बडते रहने को,
तन्हा राही की तरह, तन्हा सफर में,अपनी तन्हाईयों के साथ।"
©ayush_tanharaahi

No comments:

Post a Comment

सच्चे लोग

जरा जरा सी बात पर जिनकी आँखे भीग जाती हैं, वो लोग जीवन मे कभी किसी का बुरा चाह नही सकते। पर एक सच यह भी हैं, वो जीवन मे कभी किसी को अपना बना...