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Friday, 14 December 2018

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मत आजमाओं इतना मुझे,
मैं बिखरने वाली चीज नही।

जला दूंगा तुम्हे अपनी ही आंच से,धधकता सुर्य हूँ,
हवाओं के आगे बुझ जाऊँ वो चिराग नही।

सत्य को पुजता,
सत्य ही लिखता,
सत्य ही जीता आया हूँ।

शीश कटा सकता हूँ मैं,
पर सत्य को झुकने ना दूँगा।

महांकाल का भक्त हूँ यारों,
कैसे मै ढ़िग जाऊँगा।

गर झूठ के आगे झुक गया तो,
कैसे उनको अपना मुख मे दिखाऊँगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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