Pages

Thursday, 13 December 2018

शुन्य

शुन्य ही मेरा जीवन यारों, शुन्य ही मेरा कर्म हैं,
शुन्य ही मेरा अन्त, शुन्य ही आरम्भ हैं।
शुन्य से होकर , शुन्य को पाकर,
शुन्य मे ही खो जाऊंगा.........!!!!!
शुन्य हूँ मैं, शुन्य जीया हूँ,
शुन्य मे ही विलीन हो जाऊँगा......!!!!!
मैं की तलाश मे, भटक रहा हूँ,
कैसे मैं को पाऊँगा...???
जब सबकुछ ही शुन्य यहाँ पर,
शुन्य ही हर पल पाऊँगा.......!!!!!!!

भीतर , बाहर , ऊपर, नीचे,
चहुँ और हूँ खोज रहा,
कुछ भी कही, मिला ही नही हैं,
समय को युहिं कोस रहा,
शुन्य ही होना हैं जब सब,
फ़िर क्यो यह अहम हैं पाल रहा,
शुन्य ही हो जा तन्हराही ,
क्यों राहो की धूल हैं छान रहा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#ayushpancholi #kuchaisehi #hindimerijaan

No comments:

Post a Comment