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Tuesday, 27 November 2018

व्यथा तिरंगे की

मैं भारत की आन, बान, शान हूँ
अनेकता मे एकता को प्रदर्शित करता,
एक मात्र संविधान का जीवित प्रमाण हूँ
तीन रंगो मे रंगा, सम्राट अशोक के चक्र से सजा
हर भरतीय का अभिमान हूँ
हाँ मैं तिरंगा हूँ.!

मैने अपमान भी सहा हैं,
रोया हूँ आँसू खून के
मुझे अपनो ने बहुत बार छला हैं
मैं दंगो मे जलाया गया हूँ,
मुझे टुकड़ों मे बांटा गया हैं
एक रन्ग मेरा जो प्रतिक था शौर्य का,
छत्रपती की वीरता, महाराणा के उद्घोष का,
उसे अपना लिया कुछ ने और हिन्दू हो बैठे
भुल गए इतना की हिन्दुस्तान का हर वासी ही हिन्दू हैं
एक रन्ग जो था प्रतिक हरयाली का,
जीवन की खुशहाली का,
उसे हर लिया कुछ लोगो ने और वो मुसलमाँ हो बैठे
एक रन्ग जो था प्रतिक शान्ती का,
उसे अपना लिया कुछ मौका परस्त हैवानो ने,
इंसान को इंसान ना समझने वाले कुछ ,
संविधान के दलालों ने
अपनी ही मात्रभूमि का सौदा करने वाले,
गद्दारों ने
हाँ मैं होता हूँ दुखी अपनी इस दुर्दशा पर,
खोता जाता हूँ सम्मान अपना,
कुछ अपनो की विभिषण्ता पर।
हाँ मैं तिरंगा हूँ.!

मुझे सम्मान भी हैं मिलता,
जब लहराया जाता हूँ,
वर्ष मे आने वाले दो,
राष्ट्रिय त्योहारो पर
फिर भुला दिया जाता हूं.!
मैं खुश होता हूँ,
उस पल जब मात्रभूमि की,
सेवा करने वाले किसी ,
महान पुरुष के अन्तिम सफर का साक्षी बनता हूँ.!
खुश होता हूँ मैं,
जब मेरा मान बडाया जाता हैं,
मेरे अपने वीर सपूतों द्वारा जब मुझको अपनी,
उपलब्धि का साक्षी बनाया जाता हैं.!
मैं तीन रंगों मे रंगा वही
तिरंगा हूँ .!

पर सच कहूँ मैं दुखी हूँ,
मेरे साथ हो रहा हैं अन्याय क्यो
मेरे नीचे बड़ता जा रहा हैं,
यह भ्रष्टाचार क्यो
मैं जलाया जाता हूँ,
मैं फाड़ दिया जाता हूँ,
सिर्फ खास मौको पर ही मैं,
अपना सम्मान पाता हूं
मैं मुक हूँ, अपनी व्यथा सुना नही पाता
तुम समझदार हो, क्या तुमको होता मेरा अपमान
नजर नही आता
बस करो अब और नही,
इतना मुझमे अब जोर नही
बहुत सहा अपनो का धौका,
बहुत कुछ देख चुका हूँ।
समन्दर मे उतना नीर नही,
जितना मैं अश्को मे बहा चुका हूँ
हाँ मैं तिरंगा हूँ..!
रो रहा हूँ, हर पल
क्युंकी मैं तिरंगा हूँ...!

©ayush_tanharaahi

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