कभी कभी समझ ही नही आता, हमे ये इतनी हिचकिया आती कहां से हैं। कौन हैं जो हमे इतना याद करता हैं। क्युकी जो याद करने वाला था, वह जा चुका हैं, कहाँ था उसने जाते वक्त हमसे,
"अब तुम्हारा नाम भी कभी जुबां पर नही आयेगा,
जिस दिन भी आया ख्याल तुम्हारा हमारा ख्यलातों से भी वास्ता छूट जायेगा ।
हमे सिर्फ और सिर्फ नफरत हैं तुमसे.....!!!!!!"
बड़े ही जानलेवा थे उनके यह शब्द। टूट कर बिखर से गये थे हम। पर आज जब लगातार हिचकिया आती ही रहती हैं। तो समझ नही आता, आखिर कौन हैं, जो इतना याद करता हैं हमे।
"हमारे अपनो ने तो हमे ठुकरा दिया हैं,
और दोस्ती हम निभा नही पाते।
दुश्मन कोई रहा नही,
इश्क हमको जमा नही।"
फिर वही सवाल आता हैं, आखिर कौन हैं, जो अपना इतना वक्त जाया करता हैं, हमारे ख्यालों मे।
या फिर झूठे थे उसके वो सारे शब्द...!!!!!
बस यह एक ख्याल हैं, और ख्यालो का क्या है, आते जाते रहते हैं।
उसकी यादों की ही तरह।
क्या खूब सितम ढ़ा रही हो जाना,
याद आती हो तो आँसू दे जाती हो।
याद करती हो तो हिचकिया.....!!!!
अब जब मोहब्बत ही नही रही हमसे तुम्हे,
तो अब ये बेवजह का सताना तो छोड़ दो।
हमे छोडा हैं जिस तरह तुमने,
अपनी यह आदत भी हमारे साथ ही छोड़ दो....!!!!!
आयुष पंचोली
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