जिन्दगी की पाठशाला का खेल भी बड़ा निराला हैं,
जीना जो सिखाता हैं यहाँ, हर एक गुरु बड़ा गहन चिंतन वाला हैं।
एक गुरु जो होता हैं धोखा,
जो अपनो की असल पहचान कराता हैं।
अपने रिश्ते भी निभाते है भुमिका गुरु की,
जो समय समय पर त्रिया चारित्र दिखाते हैं।
एक गुरु पडोसी अपना,
जो अपनो से ज्यादा आपकी खबर रखता हैं।
एक गुरु सम्मान हैं होता,
तो एक गुरु प्रतिकार भी हैं।
जो दोनो को सहज ही समझे,
वो जीने का हकदार भी हैं।
एक गुरु अहं स्वयं का,
जो करवाता अपमान भी हैं।
एक गुरु हैं वहम वही जो,
खुद को बताता सबका सरताज भी हैं।
एक गुरु वह मित्र हैं सच्चा,
जो साथ निभाता हर पल हैं।
एक गुरु अन्तर मन मे बसता,
जो मंथन का आधार भी हैं।
जिन्दगी सिखाती बहुत कुछ हैं,
दिखाती जीवन के पहलू बहुत कुछ हैं।
कुछ अच्छे , कुछ बुरे पल ,
कुछ किस्से कहानियो के किरदार,
जो सुने थे कभी मगर थे असरदार।
किस गुरु से पाया क्या,
और जिन्दगी से सीखा क्या?
यह तो अन्त बतायेगा,
जिन्दगी इम्तहान ही तो हैं,
प्रश्नो के उत्तर गुरुओ की सीखो से देते जा,
वरना इस इम्तहान मे पिछड़ जायेगा।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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