मेरी उदासियों का तेरी यादों से रिश्ता पुराना हैं,
यह खामोशियां ही हैं, जो अब मेरा फसाना हैं।
कहो कैसे हो , कैसे अब भला पुँछू ,
तुम्हे कैसे बताऊँ मैं, की मेरा हाल-ए-दिल क्या हैं।
मुझे पढ़ते हो शिद्दत से,जरा समझा भी तो होता,
यहाँ शब्दों का नही, जाना !! लगा जज्बातों का मेला हैं।
तुम्हे क्या इल्म भी हैं की , तुम्हे जीता हूँ मै कैसे,
तेरी यादों मे लिखे इन एहसास को जज्बात से पढ़ना ।
तु क्या जाने तेरी हर याद को मैने संजोया हैं,
तुझे कैसे बताऊँ मैं, ये दिल खून के आँसू भी रोया हैं।
तेरी फितरत मे जो था इश्क, उसको इश्क ना कहना,
यह चेहरे पर सजा मासूमियत अब किसी से इश्क ना करना।
है गर थोडी सी भी गैरत का बचा एक अंश भी तुझमे,
अपने माँ-बाप के बचे उस मान का अपमान मत करना।
तुझे कसम हैं अपने इश्क की वादाफरामोश तु सुनले,
किसी से वक्त बिताने के लिये फिर झूठा इश्क ना करना.....!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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