क्रांति शब्दों मे होने से क्या होता हैं,
हो गर क्रांति तो विचारों मे हो।
बदलाव तो आ ही जायेगा एक दिन,
बगावत न डिगने वाली बस इरादो मे हो ।
फाड़कर सीना पहाड़ो का भी,
रास्ता मांझी बना जाता हैं।
गौताखोर भी सागर की गहराई से,
खोज खजाने ले आता हैं।
मुल्क कोई बरसों बाद अपनी,
पहचान फिर पाता हैं।
यह हौंसला ही हैं,
जो व्यक्ति को लड़ने मे सक्षम बनाता हैं ।
खुद को मजबूती से ढाल सकने,
का गर इरादा रगों मे हो।
खोलता जो खून रगो मे हैं,
देशभक्ति का जज्बा उसके अणुओं मे हो।
हर घड़ी हैं अन्त की ,
मौत से हर पल ठनी हैं , बाजी मिलिन्द की।
बस यही एक सोच जो बसी तेरे जीवन मे हो,
गर्व से भरा जो विचार एक मन मे हो।
जीत सुनिश्चित हैं तेरी,
गर यह बातें सभी तेरे कर्मो मे हो .......!!!!!!🙏🙏❤
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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