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Friday, 16 November 2018

वो बात नहीं रही

मैं सफर मे तो हूँ,
पर अब किसी हमसफर की तलाश नही रही।

टूटा हैं दिल इस कदर इश्क मे,
की अब दिल मे दिल किसी से लगाने की बात नही रही।

अब बाकी कोई आस नही रही,
मुकम्मल होने की भी कोई वजह खास नही रही।

जैसे कटनी हैं, कट जायेगी यह जिन्दगी,
जीने की अब कोई वजह पास नही रही।

तन्हा राहे हो गई हैं,
तन्हा ही जिन्दगी हैं,
तन्हा सफर मेरा,
तन्हाराही सी ही बन्दगी हैं।
तन्हाईयों से हुई हैं, अब मोहब्बत कुछ ईस तरह,
मेरी मिल्कियत अब मेरे साथ ना रही......!!!!!

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

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