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Tuesday, 13 November 2018

कुछ ऐसे ही

जो हर्फो मे सिमट कर खत्म हो जाऊँ , वो किरदार नही हूँ मैं,
बादशाह हूँ मोहब्बत-ए-रूह का, तेरे हुस्न का गुलाम नही हूं मैं.....!!!

दिल की सल्तनत का वजीर हूं, कोई तेरे दिल का किरायेदार नही हूं मैं,
कहानी मेरी अब जमाने को वक्त ही सुनायेगा, वक्त के साथ बदल जाऊँ कोई मौसम-ए-हाल नही हूं मैं.....!!!

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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