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Friday, 16 November 2018

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आम आदमी वैसे ही जिन्दगी की परेशानियों मे कुछ इस तरह उलझा होता हैं की वो कभी खुद सुलझ नही पाता। जिन्दगी चोंतरफा उसकी बजाती रहती हैं। ऐसे मे सिर्फ वह कुछ ऐसे सहारे और ऐसे साथ ढुँढता हैं, जो उसका सहारा बन सके। उसकी उम्मीदो को उसके सपनो को उसके साथ जी सके।

छोटी छोटी चीजो मे वह अपनी खुशियाँ ढुँढता हैं,
बेवजह मुस्कुराने के बहाने ढुँढता हैं।
पर अचानक से जब कोई आये ,
और उसे नये , सुनहरे  सपने दिखाये।
उसकी खुशियों की वजह बन जाये।
उसके मुस्कुराहट का जरिया हो जाये।
अचानक से उसकी उम्मीदों को चार चाँद लग जायें।
फिर कुछ ऐसा हो जाये की वह शक्स ,
उस आम आदमी से बेवजह ही खफ़ा हो जाये।
उसकी जिन्दगी , उसके सपनों से ही लापता हो जाये।
उसकी हर खुशी जब कही खो जाये।
मुस्कुराहटें जब झूठी हो जायें।
उम्मीदों के सहारे जो जीता था,
उसकी ही सारी उम्मीदों का जनाजा उठ जाये।

सोचो क्या बीतती होगी उस शक्स पर, जब उसके पहेली जैसे जीवन की पहेली को जब एक नया मोड़ मिलने जा ही रहा था, और अचानक से वहाँ रास्ते ही खत्म हो गये।

बहुत मुश्किल हो जाता हैं , उस पल जीवन ,
जब जिन्दगी मे उम्मीदों का दामन छूट जाता हैं।
जिसे अपना सबकुछ माना,
वही जब रूठ कर बेगाना बन जाता हैं।

फिर भी वह आदमी लड़ता हैं, अपने हालतों से । आम आदमी जो ठहरा, उसे पता होता उसकी गलती ही सिर्फ इतनी हैं की वह इस खास दुनिया मे जहां सबकी तलाश कुछ खास पाने की हैं, वहाँ वो सिर्फ एक आम नागरिक ही तो हैं।बस यही से शुरु होता हैं , उसके जीवन का असली सफर, जहाँ उसे फिर किसी और से मतलब नही होता। वह अपनी तन्हाईयों के साथ आगे बड़ता जाता हैं, हर कही-सुनी बातों को ताक पर रखते हुएँ, और अपने सफर को हर पल नया मुकाम देते हुएँ........!!!!!

आयुष पंचोली
ayush_tanharaahi

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