Pages

Friday, 2 November 2018

कुछ ऐसे ही

हम नही वो दीपक जो हवा के एक झोंके से ही अपनी पहचान खो दे,
हम वो आग हैं, जो हवा के वेग से मिलकर तबाही का मन्जर ले आती हैं,
जब अपनी पर आती हैं, तो सारा जंगल निगल जाती हैं।

क्या रोकोगे तुम अपने खोखले षडयंत्रो से हमे,
हमे तूफानो से लड़ने का हुनर आता हैं।

बीच भंवर से भी निकाल लाएंगे हम कश्तियाँ,
हमे सहराओ से निकल आने का फन आता हैं।

हम ठगा जाते हैं बस अपनो के ही हाथों,
हमे रिश्तों मे चाले चलने का शौक नही हैं।

वरना जमाना जानता हैं, बेखौफ़ , बेझिजक,
बन्दा मुश्किलों से टकराना जानता हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

https://kuchaisehibyayush.wordpress.com

https://kuchaisehibyayush.blogspot.com/?m=1

https://sanatandharmbyayush.wordpress.com/

https://sanatanspiritualpost.blogspot.com/?m=1

No comments:

Post a Comment