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Thursday, 1 November 2018

कुछ ऐसे ही

खुद को खोकर पाई गई तारीफ का कोई मौल नही होता,
अपना जमीर बेंच कर पाई दौलत से कोई अमीर नही होता।

भले ही भोजन मे पकवान ना हो ,
इंसान मे आत्मसम्मान का होना जरुरी हैं।
कोई नही छिन सकता आपसे अस्तित्व आपका,
ऐसी हर गैरकानूनी हरकत का विरोध जरुरी हैं।

कब तक अत्याचार सहोगे,
कब तक यूँ लाचार रहोगे।
यूँ ही जीवन भर घुटते रहे तो,
जीवन के क्या हाल कहोगे।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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