इन्सान अच्छा या बुरा नही होता। अच्छी या बुरी उसकी सोच उसके कर्म होते हैं। किसी की सोच हमसे मिलती हैं,तो वो अच्छा और अगर ऐसा नही हैं उसकी सोच हमसे भिन्न हैं, तो वो बुरा हो जाता हैं। क्या हैं, सिर्फ और सिर्फ सोच का फर्क। इन्सान की सोच और कर्म उसके व्यव्हार और उसके संस्कारो को परिभाषित करते हैं। जिसकी सोच अच्छी हैं, जिसके कर्म अच्छे हैं, जिसकी नीयत सांफ़ हैं, उसका व्यव्हार तो अच्छा ही होगा, और जिसमे इतना कुछ हैं उसके संस्कार भी उसी तरह पोषित कियें गये होंगे। जिस व्यक्ति की सोच , विचार , नीयत और कर्म अच्छे होते हैं ना उससे कभी किसी चीज मे अपनी तुलना मत करना, आप कुछ नही हैं उसके आगे और ना ही कभी हो पायेंगे। हमें किसी को बुरा कहने का कोई हक नही हैं, जब तक हम खुद पूर्ण रूप से सही ना हो।
©ayush_tanharaahi
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