बहुत तकलिफ होती हैं, जब हमे उस गुनाह की सजा मिल रही होती है जो हमने कभी किया भी नही, और कोई हमारा पक्ष सुनने वाला भी नही होता। इन्सान बिखर जाता हैं। उस वक़्त जो उसका सहारा बनता है ना ,यकिन मानिये वो कोई फरिश्ता ही होता हैं। बहुत सुकून मिलता हैं , किसी की मदद करके, एक बार किसी जरुरत मंद की मदद जरुर कीजियेगा, क्युकी उसके बाद जो प्राप्त होता हैं ना वही परं आनन्द होता है।
©ayush_tanharaahi
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