एक अजीब सा रिश्ता जुड़ चुका हैं मेरा , तुम्हारी यादों से। एक अनकहा सा मगर बहुत खास । और तुम हो जो मुझे देख कर भी अन्देखा कर देती हो। और एक मैं हूं , जो सिर्फ यही सोच कर , यहीं देख कर के खुश हो जाता हूं कि वो खुश हैं। फिर क्या फर्क पड़ता हैं, उसकी खुशी की वजह चाहे जो हो। बस वो खुश हैं , यहीं अच्छा हैं।
©ayush_tanharaahi
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